बेटे ने कहा - मां मेरा काम बंद हो गया, अब खाने के पैसे नहीं

मेरा बेटा मजदूरी करता है। आजकल उसका काम बंद पडा है। हमारे पास खाने पीने की भी दिक्कत होने लगी। बेटे ने चार दिन पहले मुझे बताया कि मां अब खाने के भी पैसे नहीं हैं। कोई रास्ता नहीं सूझा, तो मदद के लिये अपने रिश्तेदारों को ढूंढती हुई भोपाल के फुटपाथ पर अपनी जिंदगी बसर कर रही हैं। बता दें कि सीताबाई सूखी सेवनियां गांव में  रहती हैं। उन्होने बताया कि हमारे यहां पानी के साथ साथ काम की भी बहुत दिक्कत है। इसलिये अब लोग गांव छोडकर जा रहे हैं। मेरे साथ दो लोग और भी आये थे। पता नहीं वे अब कहां है? वहां से बसें नहीं चल रहीं हैं, तो मैं थोडा पैदल, तो कभी किसी की गाडी पर बैठकर पूरे एक दिन में भोपाल पहुंची हूं। पता नहींु वहां मेरे बेटे का क्या हाल हो रहा होगा। भोपाल शहर में इस पीडिता की आप बीती पर संज्ञान लेकर आयोग ने कलेक्टर भोपाल से जांच कराकर पीडिता की उचित व्यवस्था कर सात दिवस में प्रतिवेदन मांगा है।