पैंतीस गांवों के बीच एक अस्पताल महीने भर में एक भी टीका नहीं लगा

उज्जैन जिला मुख्यालय से 75 किमी दूर एक गांव मडावदा। कोरोना से निपटने के लिये यहां 35 गांवों के बीच एक अस्पताल बनाया, लेकिन सुविधा के नाम पर टेंट हाऊस की 6 गादियां जमीन पर बिछा दी। बाॅटल चढाने के लिये स्टैंण्ड तो रखे हैं, लेकिन आज तक उपयोग नहीं हुये है। इस गांव में बीते 15 दिनों में 15 लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन इनमें से एक भी कोरोना रिकार्ड में दर्ज नहीं है, क्यूंकि किसी की भी जांच ही नहीं हुई है। गांव के सरपंच ने बताया कि यहां बीते एक माह से कोरोना के टीके नहीं लगे। यहां से 28 किमी दूर बनबना गांव में भी ऐसे ही हाल हैं। ग्राम पंचायत में कोविड सेंटर बनाया गया है, लकिन कोई भर्ती होना नहीं चाहता। गांव में न नर्स है और न डाॅक्टर। अभी तक मात्र 70 लोगों को ही कोरोना के टीके लगे हैं। कुंडला गांव में 300 लोग सर्दी-खांसी से पीडित थे। किसी ने भी जांच नहीं कराई। एक बंगाली डाॅक्टर से इलाज करा रहे थे। इनमें से 5 की मौत के बाद वह भाग गया। एक प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित इस ग्राउंड रिपोर्ट पर त्वरित संज्ञान लेकर आयोग ने अपर मुख्य सचिव, म.प्र. शासन, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, मंत्रालय तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, उज्जैन से दो सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है। आयोग ने इन अधिकारियों से यह भी पूछा है कि गांव में स्वास्थ्य की क्या योजना है ? गांव में कोरोना के टीके लगाने के लिये क्या इंतजाम किये गये हैं ? उपरोक्त समाचार वाले गांव में व्यक्तियों की मौतें किस कारण से हुईं ?