नई दिल्ली। आज देश में करीब 80 फीसदी लोगों (बालिग) के पास कम से कम एक बैंक अकाउंट है। सरकार अपनी कई योजनाओं के फायदे को सीधे लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर करती है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत बड़े पैमाने पर बैंक अकाउंट खुलवाए गए थे। ज्यादा बैंक अकाउंट खुलने के बाद ATM का इस्तेमाल भी काफी बढ़ा है। बैंक में पारंपरिक तरीके से पैसे निकालने के लिए आपको फॉर्म भरना पड़ता है। कई बार घंटों लाइन भी लगानी पड़ जाती है। लेकिन, एटीएम में आप सिर्फ पिन डालकर फौरन पैसे निकाल सकते हैं। एटीएम के साथ बस इतनी ही सहूलियत नहीं है। इसमें आपको इंश्योरेंस भी मिलता है और उसके लिए कोई प्रीमियम भरने की भी जरूरत नहीं होती। बैंक से एटीएम कार्ड जारी होने के साथ ही आपका एक्सिडेंटल इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस हो जाता है।
कैसे मिलता है इंश्योरेंस लाभ?
अगर आपको किसी भी बैंक का एटीएम कार्ड इस्तेमाल करते हुए 45 दिन हो गए है, तो आप फ्री इंश्योरेंस के पात्र बन जाते हैं। फिर आप दुर्घटना या असमय निधन जैसी स्थिति में इंश्योरेंस क्लेम कर सकते हैं। बीमे की रकम कितनी होगी, यह कार्ड की कैटेगरी के हिसाब से तय किया जाता है। बैंक क्लासिक, सिल्वर, गोल्ड और प्लेटिनम जैसे कार्ड जारी करते हैं। इसी हिसाब से इंश्योरेंस की रकम होती है। क्लासिक कार्ड पर एक लाख, प्लेटिनम कार्ड पर 2 लाख, सामान्य मास्टर कार्ड पर 50 हजार, प्लेटिनम मास्टर कार्ड पर 5 लाख, वीजा कार्ड पर डेढ़ लाख से 2 लाख तक का इंश्योरेंस कवरेज मिलता है। वहीं रूपे कार्ड पर 1 से 2 लाख तक का बीमा मिलता है।
किस स्थिति में मिलता है बीमा?
अगर एटीएम कार्डहोल्डर किसी एक्सिडेंट का शिकार होकर एक हाथ या पैर से दिव्यांग हो जाता है, तो 50 रुपये का इंश्योरेंस क्लेम मिलता है। वहीं, दोनों हाथ या पैर के नुकसान पर 1 रुपये रुपये मिलते हैं। वहीं, अगर असमय मृत्यु की स्थिति में 5 लाख रुपये तक के बीमा कवर का प्रावधान है।
क्या हैं नियम और शर्तें?
आपको एटीएम कार्ड वाले इंश्योरेंस क्लेम का फायदा लेने के लिए एक निश्चित अवधि के भीतर लेनदेन करते रहने होता है। यह अवधि बैंक के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है। अमूमन बैंक 30 से लेकर 90 दिन के भीतर कम से कम एक बार डेबिट कार्ड से ट्रांजैक्शन की शर्त रखते हैं।
क्लेम के लिए जरूरी डॉक्युमेंट
एटीएम कार्ड पर मिलने वाले एक्सिडेंटल इंश्योरेंस को क्लेम करने के लिए FIR की कॉपी और इलाज के खर्च का सर्टिफिकेट जमा करना होता वहीं, मृत्यु की स्थिति में कार्डहोल्डर के नॉमिनी को डेथ सर्टिफिकेट, FIR कॉपी और आश्रित का प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज जमा करना होता है। इस प्रक्रिया का पालन करने के बाद इंश्योरेंस की रकम मिल जाती है।