
अहमदाबाद | गृह राज्यमंत्री प्रदीपसिंह जाडेजा ने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने और मौत के आंकड़ों को लेकर स्पष्ट किया है कि सरकार मौत के आंकड़े छिपा नहीं रही| डेथ सर्टिफिकेट को आधार बनाते हुए मौत के आंकड़े छिपाने की खबरें आधारहीन और लोगों में दहशत का माहौल पैदा करने की मानसिकता के प्रकाशित की गई हैं| 71 दिनों में 1.23 लाख डेथ सर्टिफिकेट जारी किए जाने की खबर पूरी तरह निराधार और वास्तविकता से परे है| अखबारों में मृत्यु प्रमाण पत्र को आधार बनाकर कोविड 19 से मौत का दावा किया गया है| मीडिया से बातचीत में जाडेजा ने स्पष्ट कियाकि गुजरात में मृत्यु पंजीयन प्रमाण पत्र और डेथ सर्टिफिकेट जारी करने के लिए ऑनलाइन पारदर्शी पद्धति है| जब किसी परिवार में मुखिया या सदस्य की मृत्यु होती है तब बैंक, इंस्योरंश, एलआईसी जैसे विभिन्न मामलों में डेथ सर्टिफिकेट की जरूरत होती है| किसी सदस्य की मौत के बाद परिवार को घर बैठे ऑनलाइन पद्धति से प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने की पारदर्शी व्यवस्था शुरू की गई है| उन्होंने कहा कि विभिन्न मामलो में डेथ सर्टिफिकेट की जरूरत होती है ऐसे में कई बार एक ही मौत के मामले में एक से अधिक बार रजिस्ट्रेशन कराए जाने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता| जिसकी वजह से जारी डेथ सर्टिफिकेट और मौत के आंकड़ों में अंतर हो सकता है| इतना ही नहीं परिवार में किसी की मौत के बाद परिजन अन्य विधि, रीति-रिवाजों के कारण भी मौत के समय डेथ सर्टिफिकेट के लिए पंजीयन नहीं करा पाते| उन्होंने कहा कि मृत्यु समय, रजिस्ट्रेशन और प्रमाण पत्र जारी करना तीनों अलग अलग विषय हैं| इसे एक साथ जोड़कर अखबारों में प्रकाशित खबरें अनुचित और अयोग्य हैं| खबरों में 2020 और 2021 के मृत्यु प्रमाण पत्र के आंकड़ों की तुलना की गई है| जबकि वर्ष 2020 में लॉकडाउन की वजह से राज्य सरकार ने उस दौरान हुई मौत के मामलों में सरकार ने एक वर्ष यानी 31 जुलाई 2021 तक विलंब शुल्क या हलफनामा के बगैर जारी करने का फैसला किया था| खबरों में इस विषय का उल्लेख नहीं किया गया और राज्य सरकार द्वारा मौत के आंकड़े छिपाए जाने का आरोप लगाने बेबुनियाद और निराधार है| उन्होंने कहा कि कोविड 19 से हुई मौतों की संख्या के लिए निर्धारित पद्धति कोरोना डेथ प्रोटोकोल के तहत अपनाई गई है और उसका राज्य सरकार पालन कर रही है| कोविड 19 से मौत की संख्या भी रिपोर्टिंग किया जाता है| कई बार पोस्ट कोविड रिकवरी के मामलों में भी मृत्यु को कोविड डेथ के तौर पर माना जाना उचित नहीं है|