
हमीदिया अस्पताल में भर्ती 25 ब्लैक फंगस के मरीज
इसमें 17 कोरोना से ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस से पीड़ित
कोरोना संक्रमण के साथ अब ब्लैक फंगस के बढ़ते मामले ने चिंता बढ़ा दी है। प्रदेश में ब्लैक फंगस के मामले सामने आ रहे हैं। इस बीच इस बीमारी की दवा का भी टोटा शुरू हो गया है। भोपाल के हमीदिया अस्पताल में भर्ती मरीजों के एंटी फंगस लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी या सिर्फ एम्फोटेरिसिन-बी दोनों ही इंजेक्शन 10 दिनों से उपलब्ध नहीं है।
यह सब तब है, जबकि पिछले दिनों इंजेक्शन के लिए डिमांड भेजी जा चुकी है, लेकिन अब तक सप्लाई नहीं हो पाया है। अभी डॉक्टर मरीजों को फ्लुकोनाॅजोल टैबलेट देकर इलाज कर रहे हैं। मामले में ईएनटी विभाग की एचओडी स्मिता सोनी ने बताया, इंजेक्शन की सप्लाई के लिए डिमांड भेजी गई है। अभी पर्चेस प्रक्रिया की जा रही है।
जानकारों का कहना है कि फ्लुकोनाॅजोल टैबलेट भी फंगस को बढ़ने से रोकती है, लेकिन लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की तुलना में टैबलेट का असर कम है। जानकारों का कहना है कि बीमारी के मरीज साल भर में एक-दो ही आते हैं, जिनकी संख्या अब अचानक से बढ़ गई। दवा कंपनियां खपत कम होने से दवा का कम उत्पादन करती है। इसलिए दवा को लेकर दिक्कत हो रही है। हालांकि वह दवा की कालाबाजारी से भी इंकार नहीं कर रहे।
परिजन संपर्क से ला रहे इंजेक्शन
लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी और प्लेन एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन मरीज के परिजन अपने संपर्क से इंजेक्शन लेकर आ रहे हैं। इस बारे में पूछने पर मरीज के परिजन अपना सोर्स नहीं बता रहे, सिर्फ मुंबई, इंदौर जैसे शहरों से इंजेक्शन मंगाने की बात कह रहे हैं। बता दें, शुक्रवार को हमीदिया अस्पताल के ईएनटी विभाग में बने 30 बेड के नए वार्ड और कोविड वार्ड में कुल 25 मरीज भर्ती हैं। एक ब्लैक फंगस से पीड़ित कोविड संक्रमित मरीज की मौत हो गई।
5 वॉयल लगती हैं एक दिन में
डॉक्टरों का कहना है कि ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीज को एक दिन में लाइपोसोमल एम्फोटरेसिन-बी की 50 एमजी की पांच वाॅयल एक व्यवस्क को एक दिन में लगती है। यह दवा मरीज को दो से तीन सप्ताह तक दी जाती है। इसकी कीमत कंपनी के अनुसार अलग-अलग 4 से 7 हजार रुपए की रेंज में आता है। लाइपोसोमल एम्फोटरेसिन-बी इंजेक्शन की सिर्फ एम्फोटरेसिन-बी इंजेक्शन की तुलना में साइड इफेक्ट कम है और फंगस को मारने की क्षमता ज्यादा है।
हमीदिया के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. यशवीर ने बताया कि शुक्रवार को नॉन कोविड वार्ड में दो ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों को भर्ती किया गया है। कोरोना मरीजों को इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिया जाता है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ऐसे मरीजों पर ब्लैक फंगस की चपेट में आ जाते हैं। यह नई बीमारी नहीं है। इस तरह के पहले भी मामले आते थे। पहले साल भर में दो से तीन मामले आते थे।
लाइपोसोमल एम्फोटरेसिन-बी इंजेक्शन की खरीदी के लिए कॉर्पोरेशन को लिखा है। इसके अलावा बाहर मार्केट में भी पता कराया है। यह दवा उपलब्ध नहीं है। अभी मरीजों को सभी जरूरी उपलब्ध दवाओं से इलाज किया जा रहा है।
जितेन्द्र शुक्ला, डीन, गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल