
नई दिल्ली । नेपाल में विपक्षी दलों के अगली सरकार बनाने के लिये बहुमत हासिल करने में नाकाम रहने के बाद गुरुवार की रात को नेपाल की संसद में सबसे बड़े राजनीतिक दल के नेता के रूप में के पी शर्मा ओली फिर से देश के प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए। प्रतिनिधि सभा में महत्वपूर्ण विश्वास मत हारने के तीन दिन बाद राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 69 वर्षीय सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष ओली को प्रधानमंत्री के रूप में फिर से नियुक्त किया। राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति भंडारी ने नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 78 (3) के अनुसार प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के नेता के रूप में ओली को प्रधानमंत्री के रूप में फिर से नियुक्त किया। राष्ट्रपति भंडारी शुक्रवार को शीतल निवास में एक समारोह में ओली को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी। गौरतलब है कि नेपाली कांग्रेस तथा नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवाद मध्य) का विपक्षी गठबंधन अगली सरकार बनाने के लिये बहुमत हासिल करने में नाकाम रहा जिसके बाद ओली के एक बार फिर देश का प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया था। ओली सोमवार को प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत साबित करने में नाकाम रहे थे, जिसके बाद राष्ट्रपति भंडारी ने विपक्षी दलों को सरकार गठन के लिए गुरुवार रात नौ बजे तक का समय दिया था। नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को सीपीएन माओवाद के अध्यक्ष पुष्पकमल दल 'प्रचंड' का समर्थन मिल गया था, लेकिन वह जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) का समर्थन हासिल करने में नाकाम रहे। जेएसपी के अध्यक्ष उपेन्द्र यादव ने देउबा को समर्थन का आश्वासन दिया था लेकिन पार्टी के एक और अध्यक्ष महंत ठाकुर ने इस विचार को खारिज कर दिया। निचले सदन में नेपाली कांग्रेस के पास 61 और माओवाद (मध्य) के पास 49 सीटें हैं। इस प्रकार उनके पास 110 सीटें हैं, लेकिन बहुमत के आंकड़े से कम हैं। फिलहाल सरकार गठन के लिए 136 मतों की जरूरत है। सदन में जेएसपी की 32 सीटें हैं। यदि जेएसपी समर्थन दे देती तो देउबा को प्रधानमंत्री पद के लिये दावा पेश करने का अवसर मिल जाता। नई सरकार के गठन को लेकर राजनीतिक दलों के बीच दिन भर ऊहापोह की स्थिति रही। सीपीएन-यूएमएल के माधव कुमार नेपाल-झालानाथ खनल धड़े से संबंध रखने वाले सांसद भीम बहादुर रावल ने गतिरोध खत्म करने के लिए मंगलवार को दोनों नेताओं के करीबी सांसदों से नयी सरकार का गठन करने के लिए संसद सदस्यता से इस्तीफा देने का आग्रह किया। रावल ने ट्वीट किया कि ओली नीत सरकार को गिराने के लिये उन्हें संसद सदस्यता से इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने लिखा, असाधारण समस्याओं के समाधान के लिए असाधारण कदम उठाए जाने की जरूरत होती है। प्रधानमंत्री ओली को राष्ट्रीय हितों के खिलाफ अतिरिक्त कदम उठाने से रोकने के लिए उनकी सरकार गिराना जरूरी है। इसके लिए हमें संसद की सदस्यता से इस्तीफा देना चाहिए। राजनीतिक नैतिकता और कानूनी सिद्धांतों के लिहाज से ऐसा करना उचित है।