
इंदौर कोरोना संक्रमण के 14 माह बीतने के बाद बुधवार को पहली बार प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी इंदौर पहुंचे थे। रेसीडेंसी में दो घंटे तक स्वास्थ्य अधिकारियों से बात करने के बाद जब मीडिया से चर्चा करने पहुंचे, तो यहां सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गईं। स्वास्थ्य मंत्री चौधरी अपनी ही कॉन्फ्रेंस में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करा सके। दो और मंत्री सिलावट व उषा ठाकुर, सांसद लालवानी और तमाम अफसर भी इस पर खामोश रहे। मामले में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए कमिश्नर और आईजी से 7 दिनों में प्रतिवेदन मांगा है।
इन 9 बिन्दुओं पर मांगा जवाब
किन हालात में इतनी अधिक संख्या में मीडियापर्सन्स आदि व अन्य व्यक्तियों की उपस्थिति में प्रेस काॅन्फ्रेंस की गई?
क्या संक्रमण रोकने के लिए कलेक्टर, इंदौर द्वारा पारित प्रतिबंधात्मक आदेश के प्रावधान इन पर लागू नहीं होते?
किस अधिकारी की स्वीकृति पर प्रेस काॅन्फ्रेंस हुई थी?
क्या प्रेस काॅन्फ्रेंस के लिए मीडियापर्सन्स व अन्य उपस्थित व्यक्तियों की संख्या सुनिश्चित की गई थी?
क्या ऐसी किसी संख्या से अधिक व्यक्ति प्रेस काॅन्फ्रेंस में शामिल नहीं हो सकें, इसकी व्यवस्था/पर्यवेक्षण की कार्यवाही की गई थी?
इस दौरान प्रशासनिक/पुलिस अधिकारियों द्वारा उपस्थित मीडियापर्सन्स व अन्य व्यक्तियों के मध्य सोशल डिस्टेंसिंग के लिए कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
क्या ऐसी प्रेस काॅन्फ्रेंस बिना वांछित बिन्दुओं पर प्रेस विज्ञप्ति जारी किया जाना संभव नहीं था?
प्रेस काॅन्फ्रेंस में कलेक्टर, इंदौर के प्रतिबंधात्मक आदेश/कोविड प्रोटोकाॅल के उपरोक्त उल्लंघन की परिस्थितियों को देखते हुए इस संबंध में क्या किसी व्यक्ति के विरुद्ध कार्रवाई की गई है? यदि नहीं, तो क्यों नहीं की गई?
कोरोना की वर्तमान गंभीर परिस्थितियों में भीड़युक्त प्रेस काॅन्फ्रेंस की जगह वीडियो काॅन्फ्रेसिंग या अन्य डिजिटल माध्यम से प्रेस काॅन्फ्रेंस या विकल्प में केवल महत्वूर्ण बिन्दुओं की जानकारी देते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी किए जाने की संभावना पर भी स्पष्ट प्रतिवेदन प्रेषित किया जाए।