इंदौर । इंदौर में हर तीज त्योहार पूरे उत्साह से मनाए जाते है, लेकिन एक उत्सव ऐसा है जिसे इस शहर में जन्मा और उत्सवधर्मी शहरवासियों ने उसे पाल-पोसकर बड़ा स्वरुप दिया। रंगपंचमी पर निकलने वाली गेर पूरे देश में सिर्फ इंदौर में ही निकलती है। शनिवार को फिर इंदौरवासी अपने उत्सव में रचने-बसने, रंगने के लिए पूरी तरह तैयार है। मुख्यमंत्री मोहन यादव भी शहर की इस परंपरा के साक्षी बनेंगे। मध्य क्षेत्र के पांच किलोमीटर लंबे रुट पर गेर में शामिल मिसाइलें आसमान को सतरंगी करते हुए चलेगी। इसके अलावा रंगों से सराबोर करने वाली पिचकारियां भी गेर में शामिल होगी। भजन मंडलिया, डीजे, ढोल नगाड़े उत्सव में चार चांद लगाएंगे। पांच से ज्यादा गेर शनिवार सुबह दस बजे से निकलेगी और खजूरी बाजार, मल्हारगंज, टोरी कार्नर, सराफा, गौराकुंड चौराहा से होकर गुजरेगी। गेर में अमीर गरीब का भेद होगा, न उम्र का अंतर झलकेगा। बच्चे, बुढ़े-जवान का उत्साह एक समान होगा। सबकुछ एकरंग होगा और सबके मन एकाकार।
100 साल पुरानी परंपरा कोविड में हुई थी ब्रेक
इंदौर में 100 साल से गेर निकालने की परंपरा है। कोविड के दो साल यह परंपरा ब्रेक हुई। तब गेर नहीं निकल पाई थी। हर साल इसमें लाखों लोगों की भीड़ जुटती है। नगर निगम गेर समाप्त होने के बाद पूरे रुट पर सफाई अभियान चलाएगा।
टोरी कार्नर गेर निरस्त
रंगपंचमी पर हर साल निकलने वाली टोरी कार्नर की सबसे पुरानी टोरी कार्नर गेर शुक्रवार को नहीं निकलेगी। गेर आयोजक शेखर गिरी के भाई सतीश गिरी के निधन के कारण गेर को निरस्त करने का फैसला लिया गया है। कहा जाता है कि सबसे पहले टोरी कार्नर से ही गेर निकलने का सिलसिला शुरू हुआ था।