नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि के रूप में भले ही स्वच्छता को बड़े अभियान का रूप दिया हो, लेकिन इसका राजनीतिक पहलू भी देखा जाने लगा है। दरअसल सरकार गठन व चुनाव के बीच फंसी दिल्ली में खुद मोदी वाल्मीकि बस्ती से अभियान की शुरूआत करेंगे जो पिछले चुनाव तक आम आदमी पार्टी का गढ़ रहा था। शायद यही कारण है कि केजरीवाल ने सफाई कर्मियों के सूरत- ए-हाल का सवाल उठा दिया है और सरकार से आशा जताई है कि उनका ख्याल रखा जाएगा।
लीक से हटकर काम करने और पारंपरिक कार्यक्रमों पर अपनी छाप छोड़ने वाले मोदी शायद पहले ऐसे प्रधानमंत्री होंगे जो गांधी को पुष्प अर्पित करने के बाद हाथ में झाड़ उठाकर वाल्मीकि बस्ती की सफाई भी करेंगे। इस बस्ती में कभी महात्मा गांधी भी आए थे। अब तक के कार्यक्रम के अनुसार, सुबह राजघाट और लाल बहादुर शास्त्री की समाधि विजय घाट पर श्रद्धांजलि देने के बाद मोदी वाल्मीकि समुदाय के बीच पहुंचेगें। उनके कैबिनेट सहयोगी व मंत्रीगण पहले ही कहीं न कहीं सफाई का काम कर चुके हैं। 2 अक्टूबर को कई मंत्री व सांसद रेलवे स्टेशनों की सफाई करेंगे। तर्क यह है कि खुद पीएम की पहल का पूरे देश पर असर पड़ेगा।
केजरी के विस क्षेत्र में आती है बस्ती
बहरहाल, इसका राजनीतिक पक्ष भी स्पष्ट है। इसी दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में केजरीवाल को बड़ी राजनीतिक ताकत वाल्मीकि समाज और दूसरे निचले वर्ग के मतदाताओं से मिली थी। वाल्मीकि बस्ती केजरी के ही विधानसभा क्षेत्र में आती है। शहरी विकास मंत्रलय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने पहले ही केजरीवाल को पत्र लिखकर स्वच्छता अभियान में योगदान मांगा था। केजरीवाल ने योगदान का वादा किया, लेकिन यह भी याद दिला दिया कि पूरा अभियान प्रतीकात्मक नहीं होना चाहिए।
फिलहाल ऐसी खबरें आ रही है कि कुछ मंत्रियों ने पहले गंदगी फैलाई और फोटो खिंचवाने मात्र के लिए सफाई कर दी। ज्ञात हो, लोकसभा चुनाव में तो सभी सात सीटें भाजपा के खाते में चली गई लेकिन उस दौरान भी कई विधानसभा सीटों पर आप बढ़त में दिखी थी। शायद यही कारण है कि सरकार के स्वच्छता अभियान को लेकर भी आप सतर्क है। लिहाजा केजरीवाल ने सफाई कर्मियों की स्थिति का सवाल उठा दिया है। नायडू को पत्र लिखकर उन्होंने कहा, नियमित सफाई तो सफाई कर्मियों को करनी है लिहाजा उन्हें नियमित करना चाहिए। फिलहाल ज्यादातर कर्मी ठेके पर हैं। इसके अलावा नगर निगमों में भ्रष्टाचार पर भी अंकुश जरूरी है। गौरतलब है नगर निगमों पर भाजपा का कब्जा है।
सियासी बढ़त लेने की कोशिश में केजरीवाल
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