सिंगापुर कोरोनावायरस की पहली लहर पर सख्त लॉकडाउन के जरिए काबू पाने वाले सिंगापुर में अब दूसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, एक लोकल हॉस्पिटल से संक्रमण फैला। यह भी अहम है कि ये लोकल और नया वैरिएंट है। इसके 64 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से एक वैरिएंट वो भी है जो इन दिनों भारत में पाया जा रहा है और जो ज्यादा तेजी से फैलता है।
नए मामले सामने आने के बाद एडमिनिस्ट्रेशन ने सख्त कदम उठाना शुरू कर दिए हैं। बॉर्डर पर सख्ती बढ़ाई गई है। इसके अलावा भीड़ रोकने के लिए भी नियम तय कर दिए गए हैं। हेल्थ मिनिस्टर किम योंग के मुताबिक- अगर हालात बिगड़ते हैं तो आंशिक लॉकडाउन लगाया जा सकता है।
एक हफ्ते में बढ़े मामले
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, कई महीने से यहां बहुत कम संक्रमण के मामले सामने आए थे। लेकिन, एक हफ्ते के दौरान ये तेजी से बढ़े। इसके बाद प्रशासन ने सख्ती का फैसला किया। सिंगापुर ने इस साल की शुरूआत में ही लॉकडाउन में ढील देना शुरू किया था।
हेल्थ मिनिस्टर किम योंग ने कहा- वैक्सीनेशन की वजह से यह मामले या तो असैम्टोमैटिक (जिनमें लक्षण दिखाई नहीं देते) हैं, या फिर ऐसे लोग हैं जिनमें हल्के लक्षण हैं। किसी को भी ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी। इसलिए, वैक्सीनेशन बेहद अहम है।
फिक्र की बात क्या
कुल मिलाकर 64 नए मामले सामने आए हैं। इनमें से 5 एक ही हॉस्पिटल के हैं। इससे भी ज्यादा खतरे की बात यह है कि 64 में से 9 लोग ऐसे हैं जो वैक्सीन के दोनों डोज लगवा चुके थे।
काबू पाने के लिए ये कदम उठाए
हाई रिस्क कंट्रीज से आने वाले लोगों को अब 14 के बजाए 21 दिन क्वारैंटाइन रहना होगा।
एक जगह 5 लोगों से ज्यादा नहीं जुट सकेंगे।
इंडोर जिम और फिटनेस सेंटर्स पूरी तरह बंद।
भारत क्या सीख सकता है
सिंगापुर ने पहली लहर पर सख्त लॉकडाउन और नियमों से काबू पाया था। और ये बस कागजी कार्रवाई नहीं थे, बल्कि उपायों पर सख्ती से अमल कराया गया था। न्यूजीलैंड और सिंगापुर ने कामयाबी से पहली लहर पर काबू पाया था। भारत इन उपायों से काफी कुछ सीख सकता है, हालांकि इन देशों की भौगोलिक स्थिती और जनसंख्या भारत से बिल्कुल अलग है।
पहली लहर पर ऐसे काबू पाया गया था
दूसरे देशों से आने वालों का एयरपोर्ट पर टेस्ट किया गया, पहले 14 और बाद में 21 दिन क्वारैंटाइन किया गया।
सिर्फ बेहद जरूरी सेवाओं से जुड़े लोगों को ही आवाजाही की मंजूरी दी, ज्यादातर सेवाएं ऑनलाइन रहीं। वर्क फ्रॉम होम को तवज्जो।
सभी स्कूल, कॉलेज और दूसरे एजुकेशनल इंस्टीट्यूट सख्ती से बंद किए।
यहां बड़ी संख्या में डोरमेट्रीज हैं। इनमें हजारों मजदूर रहते हैं। ज्यादातर भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका के हैं।
डोरमेट्रीज में संक्रमण फैला तो मजदूरों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। कई संगठनों ने इसे अमानवीय भी बताया था।
अब नई और बेहतर डोरमेट्रीज में इन मजदूरों को शिफ्ट किया जा रहा है।
वैक्सीनेशन पर फोकस। हालांकि यहां अभी तक सिर्फ 14.9% लोग ही फुल वैक्सीनेट किए जा सके हैं। करीब 25% लोगों को पहला डोज लग चुका है।