इंदौर अस्पताल में काेई स्टाफ भी नहीं
सेवाकुंज अस्पताल मेंं 300 बिस्तरों का अस्पताल तैयार है
एक तरफ प्रदेश कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है, वहीं राजनीति करने वाले भी बाज नहीं आ रहे। इसका उदाहरण इंदाैर में मिला है। यहां 300 बेड्स के तैयार सेवाकुंज अस्पताल से रातों-रात ऑक्सीजन टैंकर गायब हो गया। मामला मंत्री तुलसीराम सिलावट के विधानसभा क्षेत्र सांवेर का है। सभी सुविधाओं से लैस सेवाकुंज अस्पताल में रविवार को ऑक्सीजन टैंकर गायब हो गया, जबकि 19 अप्रैल को टैंकर मौजूद था। अब इस बारे में अस्पताल प्रबंधन भी कुछ नहीं बोल रहा।
कनाड़िया क्षेत्र में स्थित सेवाकुंज अस्पताल का कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला ने 19 अप्रैल को यहां का दौरा किया था। इससे पहले मंत्री ऊषा ठाकुर और भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी यहां का दौरा कर चुके हैँ। सामने आया कि सेवाकुंज अस्पताल में सभी सुविधाएं होते हुए भी यहां एक भी मरीज भर्ती नहीं था। अस्पताल प्रबंधन भी मरीजों को भर्ती करने के लिए तैयार था। अस्पताल प्रबंधन का तर्क था कि 300 बेड्स के अस्पताल में ऑक्सीजन का टैंकर तो है। इस टैंकर से वार्डों में ऑक्सीजन की लाइन भी गई है, लेकिन ऑक्सीजन की कमी के चलते वे मरीजों का भर्ती नहीं कर पा रहे।
मंत्री ने दिया था आश्वासन
इस पर विधायक संजय शुक्ला ने स्वास्थ्य मंत्री विश्वास सारंग और तुलसीराम सिलावट को भी इससे अवगत करवाया। तुलसीराम सिलवाट और अफसरों ने यहां ऑक्सीजन उपलब्ध करवाकर मरीजों को भर्ती करने की बात कही थी। बता दें कि कनाड़िया क्षेत्र में करीब 400 एक्टिव केस हैँ। इनमें से कई इंदौर के सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती हैं। विधायक संजय शुक्ला का कहना है कि अगर इस अस्पताल में क्षेत्र के लोगों को भर्ती किया जाता है, तो इंदौर का भी लोड कम होगा और यहां के लोगों को दूर भी नहीं जाना पड़ेगा।
अब रातों-रात टैंकर ही गायब
शुक्ला और कांग्रेस सांसद प्रेमचंद गुड्डू की बेटी रीना बोरासी रविवार को यहां पहुंचे। यहां देखा तो ऑक्सीजन का टैंकर गायब था। अस्पताल का पूरा स्टाफ भी गायब था। रीना बोरासी का कहना है कि जब अस्पताल में हर सुविधा मौजूद है, तो इसे गायब क्यों करवाया गया। ये गंदी राजनीति का सुबूत है। विधायक संजय शुक्ला ने कहा कि एक तरफ तो अस्पतालों में मरीज भर्ती नहीं हो पा रहे और दूसरी तरफ जो अस्पताल चालू करना था, उसमें से ऑक्सीजन टैंकर हटा दिया। उनका कहना है कि सिर्फ ऑक्सीजन मिल जाने से अस्पताल शुरू हो सकता था।
आखिर टैंकर कहां गया
टैंकर कहा गया, इसे बारे में किसी को नहीं पता। अस्पताल प्रबंधन भी इस पर कुछ भी नहीं बोल रहा।