नई दिल्ली । विदेशी बाजारों में तेजी के रुख और मांग बढ़ने के कारण स्थानीय तेल तिलहन बाजार में सरसों सहित लगभग सभी तेल तिलहनों की कीमतों में तेजी का रुख रहा। बाजार सूत्रों ने कहा कि किसान कम भाव पर अपनी ऊपज नहीं बेव रहे हैं जिससे सरसों दाना और इसकी तेल कीमतों में पर्याप्त सुधार आया। सरसों दाना में जहां 50 रुपए का सुधार आया वहीं सरसों दादरी में 50 रुपये और सरसों पक्की और कच्ची धानी के भाव में 10-10 रुपए प्रति टिन का सुधार आया। विदेशों के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की भारी मांग होने से सोनाबीन दाना और इसके तेल कीमतों में भी पर्याप्त लाभ दर्ज हुआ। सोयाबीन दाना और लूज के भाव में जहां 50-50 रुपये की तेजी आई वहीं सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और डीगम तेल के भाव में 50 - 50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई।मांग बढ़ने से बिनौला तेल में भी 50 रुपए प्रति क्विन्टल का लाभ दर्ज हुआ। मूंगफली दाना में जहां 10 रुपए का सुधार आया वहीं मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड के भाव में क्रमश: 10 रुपए और पांच रुपए सुधार आया। सीपीओ में 50 रुपए, पामोलीन दिल्ली और कांडला में क्रमश: 50 -50 रुपए का सुधार आया।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि हमारे देश में खाद्य तेलों की आवश्यकता के लगभग 70 प्रतिशत भाग का आयात होता है। दूसरी ओर सरकार ने तिलहनों को आवश्यक वस्तु कानून के दायरे से बाहर रखते हुए कारोबारियों को इसका स्टॉक रखने की छूट दे रखी है ताकि अचानक किल्लत की स्थिति न पैदा हो। एक और तथ्य यह है कि मौजूदा समय में देश में उत्पादन होने वाले तेल आयातित खाद्य तेलों के मुकाबले सस्ते हैं। ऐसे में स्टॉक रखने को जमाखोरी बताना अनुचित है। उन्होंने कहा कि सूरजमुखी और अगले एक डेढ़ महीने में सोयाबीन के बिजाई के समय झूठी अफवाहें फैलाकर भाव तोड़ने वाले और किसानों को हतोत्साहित करने वाले शरारती तत्वों पर सरकार को लगाम लगाना चाहिए। ऐसी अफवाहें, देश को खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर होने की राह में बाधा होती हैं।