सरकारी अस्पतालों और फीवर क्लीनिकों में रैपिड एंटीजन टेस्ट किट की किल्लत, लिक्विड ऑक्सीजन नहीं मिला, तो दो दिन बाद होगा संकट
कोरोना संक्रमण के बीच हर बुनियादी जरूरतों का टोटा पड़ गया। हाईकोर्ट के सख्त रवैए के बावजूद जबलपुर में ही उनके आदेशों को ठेंगा दिखाया जा रहा है। जरूरतमंद लोगाें को एक घंटे में रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराने के आदेश पर अब तक अमल नहीं हो पाया। इसी बीच संक्रमण को चिन्हित करने के लिए जरूरी रैपिड एंटीजन टेस्ट किट का संकट खड़ा हो गया। जब किट ही नहीं होगी तो संक्रमित कैसे चिन्हित होंगे। ऑक्सीजन की हालत ये है कि लिक्विड ऑक्सीजन नहीं मिला तो दो दिन में त्राहिमाम मच जाएगा।
जानकारी के अनुसार जिले में कोरोना संक्रमितों को चिन्हित करने के लिए रोज 60 प्रतिशत रैपिड एंटीजन टेस्ट और 40 प्रतिशत आरटीपीसीआर जांच के निर्देश है। जिले में 36 फीवर क्लीनिक हैं। हर फीवर क्लीनिक में रैपिड एंटीजन टेस्ट जांच किट रखवाया गया है। जरूरत है तीन से चार डिब्बे की और रखवाया जा रहा है एक या दो। इसी तरह जिला अस्पताल विक्टोरिया और मेडिकल जांच की सुविधा उपलब्ध कराने का दावा किया गया है।
पर बुधवार को रैपिड एंटीजन टेस्ट ही लोगों को नहीं मिल पाया। इसकी किल्लत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एएसपी स्तर के एक अधिकारी को ढाई घंटे इंतजार करने पड़े। बड़ी संख्या ऐसे लोगों की रही, जो बिना जांच कराए ही लौट गए। एक डिब्बे में 25 किट होती है।
रेमडेसिविर इंजेक्शन सहित कई दवाओं का टोटा
कोरोना मरीजों के लिए जरूरी रेमडेसिविर इंजेक्शन लेकर सेवी फ्लू इंजेक्शन और कई जरूरी दवाओं की कमी हो गई है। एक तरफ जिला प्रशासन अस्पताल वार आवंटित रेमडेसिविर इंजेक्शन की सूची जारी करती है। दूसरी ओर निजी अस्पताल संचालकों का दावा है कि उन्हें इंजेक्शन नहीं मिल रहा है। वहां भर्ती मरीजों को बाजार से व्यवस्था करने के लिए बोला जा रहा है। कोरोना संक्रमण के इस दौर में कई और जरूरी दवाओं का टोटा हो गया है।
पल्स ऑक्सीमीटर की शुरू हो गई कालाबाजारी।
700 का ऑक्सीमीटर दो हजार में बेच रहे
बाजार में दवाओं के नाम पर लूट मची है। कल तक बाजार में 700 से 900 रुपए के बीच में मिलने वाला ऑक्सीमीटर की कीमत 2000 हजार रुपए हो गई। कीमत में तीन गुना बढ़ोत्तरी की वजह जमाखोरी बताई जा रही है। होमआईसोलेशन में रहने वाले संक्रमित बड़ी संख्या में ऑक्सीमीटर खरीद रहे हैं। इसी मुनाफाखोरी के चलते जमाखोरी की जा रही है।
दो दिन का लिक्विड ऑक्सीजन बचा
जिले में रोज 30 से 32 टन ऑक्सीजन लग रहा है। अभी सबसे अधिक आपूर्ति लिक्विड ऑक्सीजन से हो रहा है। इसके लिए छत्तीसगढ़ के भिलाई प्लांट से ऑक्सीजन मंगवाया जा रहा है। शहर में लिक्विड ऑक्सीजन के आधार पर ही 4000 के लगभग सिलेंडर की आपूर्ति होती है। शहर के तीनों आदित्य एयर, जेनिम व संजीवनी में महज दो दिन का लिक्विड ऑक्सीजन बचा है। ऑक्सीजन संकट पर राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने सोशल मीडिया के माध्यम से सीएम का ध्यान आकृष्ट कराया है।
विक्टोरिया जिला अस्पताल में 100 जम्बो सिलेंडर का रोज हो सकेगा एयर सेपरेशन यूनिट से ऑक्सीजन का उत्पादन।
जिला अस्पताल में एयर सेपरेशन यूनिट शुरू
शहर में कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन की किल्लत के बीच बुधवार को जिला अस्पताल से राहत भरी खबर आई। यहां ऑक्सीजन बनाने के लिए एयर सेपरेशन यूनिट तैयार की गई है। बुधवार से यहां से उत्पादन भी शुरू हो गया। इसका बड़ा लाभ ये होगा कि जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए अब ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी। इस यूनिट की लाइन सीधे कोविड वार्ड की सप्लाई लाइन से जोड़ दी गई है। एयर सेपरेशन यूनिट हवा से ऑक्सीजन को अलग करता है। यहां रोज 100 जम्बो सिलेंडर ऑक्सीजन तैयार होगा।
समय पर मिले दवाएं: विश्नोई
पूर्व मंत्री विधायक अजय विश्नोई की अध्यक्षता में बुधवार को कलेक्टर सभागार में कोविड को लेकर चर्चा हुई। पाटन विधायक विधायक विश्नोई ने इस आपदा में सभी को मिलजुल कर कार्य करने पर जोर दिया। सभी को दवाइयां समय पर मिल जाए। इसे सुनिश्चित कराएं, तभी आपदा में लोगों की जिंदगी सुरक्षित हो पाएगी। इस मौके पर योगमणि ट्रस्ट की ओर से डॉ. जामदार ने रेडक्रास को 51 हजार रुपए की मदद की।
बरेला में 80 बेड का कोविड केयर सेंटर शुरू।
पनागर विधायक सुशील तिवारी और एसडीएम नमः शिवाय अरजरिया ने बुधवार को शासकीय महाविद्यालय बरेला में 80 बेड का कोविड केअर सेंटर का शुभारंभ किया। इस अवसर पर तहसीलदार जबलपुर, बीएमओ बरगी डॉक्टर राजेश राज, एसडीओपी जबलपुर, नायब तहसीलदार बरेला, थाना प्रभारी बरेला, सीएमओ बरेला आदि मौजूद थे।