राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा बोले, अजय भाई आप दिल से जबलपुर के हितैषी हैं, परिवारों का दर्द और श्मशानों में कतारें देखकर हम धृतराष्ट्र कैसे बने रहे

जबलपुर में कोरोना संकट से निपटने के लिए कांग्रेस के राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा और बीजेपी विधायक अजय विश्नोई ने सेना की मदद लेने का सुझाव सीएम को दिया है।
कांग्रेस से राज्यसभा सांसद और बीजेपी के विधायक अजय विश्नोई ने कोरोना संकट से निपटने जबलपुर में सेना से मदद लेने के लिए सीएम को दिया सुझाव

जिले में 50 सरकारी व निजी अस्पतालों में बेड फुल हो चुके हैं। ऑक्सीजन और वेंटीलेटर वाले मरीजों को लेकर बेड की मारामारी मची है। ऐसे संकट के बीच में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और बीजेपी के विधायक अजय विश्नोई ने प्रशासन को सेना से मदद लेने का सुझाव दिया है।

विश्नोई ने सीएम को खुला पत्र भी लिखा है। उनका समर्थन कांग्रेस के राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा ने करते हुए पोस्ट किया है कि "अजय भाई आप दिल से जबलपुर के हितैषी हैं, परिवारों का दर्द और श्मशानों में कतारें देखकर हम धृतराष्ट्र कैसे बने रहे।'

जानकारी के अनुसार जिले में एक भी प्राइवेट अस्पताल में बेड खाली नहीं है। मेडिकल, विक्टोरिया, मनमोहनगर सहित अन्य सरकारी अस्पतालों का भी यही हाल है। प्रशासन भी नए अस्पताल और बेड बढ़ाने को लेकर चिंतित है। पाॅवर मैनेजमेंट कंपनी ने अपना अस्पताल प्रशासन के हैंडओवर कर दिया है। इसके अलावा तिलवारा स्थित एक निजी नेत्रालय में भी 100 बेड का कोविड अस्पताल बनाया जा रहा है। पर जिले सहित सीमावर्ती जिलों के मरीज जिस तरह जबलपुर में इलाज कराने आ रहे हैं, उससे हालात विस्फोटक हो चुके हैं। इससे निपटने के लिए बीजेपी विधायक अजय विश्नोई ने सीएम को खुला पत्र लिखा है।
 

विश्नोई ने सीएम को पत्र में ये लिखा है

वाकई आपातकाल है। सरकारी हो या प्राइवेट, एक-एक बिस्तर की मारामारी है। ऑक्सीजन की कमी है। जबलपुर में प्राइवेट मेडिकल कॉलेज नहीं होने से भी परेशानी है। कृपया सुखसागर को अविलंब सरकारी व्यवस्था में लें। इससे 350 बिस्तर की व्यवस्था हो जाएगी। जिले में गंभीर स्थिति और सीमित संसाधन को देखते हुए कुछ अलग सोचने की जरूरत है। सुझाव दिया कि जबलपुर में सेना के पास काफी बड़ी संख्या में कुशल पैरामेडिकल स्टाफ उपलब्ध है।


प्रयास कर खुद या केंद्र के माध्यम से सेना की मदद लेने का कोशिश करें। जबलपुर में इंजीनियरिंग कॉलेज और साइंस कॉलेज के खाली हॉस्टल को अस्पताल का स्वरूप दिया जा सकता है। यहां कमरे और बाथरूम के साथ मेस है और दोनों शहर के बीच में हैं।

बाजार में रेडी उपलब्ध ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीद कर 5 लीटर तक ऑक्सीजन दी जा सकती है। गंभीर मरीज होने पर उसे मेडिकल कॉलेज भेजा जाए।

विश्नोई के इसी सोशल पोस्ट पर तन्खा ने किया था री-पोस्ट

पाटन विधायक अजय विश्नोई ने सोशल एकाउंट पर भी अपना सुझाव व सीएम को लिखा पत्र पोस्ट किया है। इसी पोस्ट को कांग्रेस से राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा ने री-पोस्ट करते हुए लिखा कि अजय भाई आप दिल से जबलपुर के हितैषी हैं। परिवारों का दर्द और शमशानों में कतारें देखकर हम धृतराष्ट्र कैसे बने रहें।

तन्खा ने कहा, कोविड के अस्थाई व्यवस्था के लिए वह एक करोड़ देने को तैयार

राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने महाकौशल में हुए कोरोना विस्फोट पर चिंता जताते हुए गुरुवार को ऐलान किया है कि वह एक करोड़ की राशि सांसद निधि से अर्पित करेंगे, यदि जबलपुर में अस्थाई कोविड-19 सेंटर स्थापित किया जाता है। तन्खा ने कहा कि जबलपुर में अस्थाई कोविड-19 सेंटर स्थापित होने से महाकौशल में रहने वाले एमपी के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी और उन्हें दरबदर भटकना नहीं पड़ेगा। इस सेंटर को स्थापित करने में आर्मी की भी मदद लेने का उन्होंने बीजेपी विधायक अजय विश्नोई के सुझाव का समर्थन किया है।
 

ऑक्सीजन का संकट छग कर सकता है दूर, 28 टन रोज की खपत

राज्य सभा सांसद ने जबलपुर में ऑक्सीजन के संकट को लेकर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश सिंह बघेल से बात की है। बतौर सांसद तन्खा जबलपुर को रोज 28 टन ऑक्सीजन की जरूरत है। छग सीएम ने आश्वस्त किया है कि एमपी सीएम की तरफ से इसकी पहल हो तो वे जबलपुर के लोगों की मदद प्राथमिकता से करेंगे।

तन्खा ने अपने सोशल पोस्ट में लिखा है कि ऐसा वे जबलपुर के एमपी की हैसियत से नहीं कर रहे हैं और न ही कह रहे हैं। जो वे हैं भी नहीं। पर वे जबलपुर से प्रेम करते हैं। पूरा जबलपुर एक स्वर में एक ही बात कह रहा है कि यहां का जिला प्रशासन उदासीन है। पता नहीं उनका किससे संवाद है। हालत बहुत गंभीर है।

बेड नहीं मिला तो सीएमएचओ के घर पहुंच गया कोविड मरीज।

बेड नहीं मिला तो वेन में कोविड मरीज को लकर सीएमएचओ के घर पहुंच गया

सीएमएचओ डॉ. रत्नेश कुररिया के घर में शुक्रवार सुबह 4 बजे एक कोरोना पॉजिटिव ने बेड को लेकर हंगामा मचाया। छिंदवाड़ा से जबलपुर रेफर इस मरीज को पूरे शहर में कहीं बेड नहीं मिला। सीएमएचओ का मोबाइल बंद था। इस पर मरीज को लेकर परिजन सीएमएचओ के घर पहुंच गए। सीएमएचओ डॉ. रत्नेश कुररिया के मुताबिक वह एक बजे घर लौटे थे। इसके बाद सो गए थे। मरीज के आने पर उसे मनमोहन नगर में भर्ती कराया। दाेपहर में उसे एक निजी अस्पताल में शिफ्ट कराया।
 

कोरोना संक्रमित भाई को लेकर सात घंटे तक भटकी बहन

गुरुवार की रात भी ऐसा ही वाकया सामने आया था। सतना से रेफर होकर जबलपुर भाई दीपक नागर को लेकर आई बहन रितु नागर सात घंटे तक शहर भर के अस्पतालों में भटकती रही। दीपक कोविड संक्रमित है और उसके सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। एक निजी अस्पताल में गई तो वहां ऑक्सीजन सिलेंडर साथ में लाने पर भर्ती की शर्त रख दी।

वहीं दूसरे निजी अस्पताल ने एक लाख रुपए एडवांस में जमा करने के बाद भर्ती करने की बात कही। थक हार कर वह भाई को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंची। वहां रात ढाई बजे डॉक्टर मयंक चंसोरिया से उसने रोते हुए मदद मांगी। डॉक्टर चंसोरिया ने पहल कर उसके भाई को मेडिकल में एक बेड दिलाया। तब जाकर इलाज शुरू हो पाया।