स्वास्थ्य आयुक्त के बाद झाबुआ कलेक्टर रोहित सिंह को हटाया, चिकित्सा शिक्षा विभाग के उप सचिव सोमेश मिश्रा को दी कमान

राज्य शासन ने मंगलवार को झाबुआ
झाबुआ में 3 दिन से 100 से ज्यादा केस मिल रहे, वैक्सीनेशन की रफ्तार धीमी

मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण की बेकाबू रफ्तार के बीच सरकार ने झाबुआ कलेक्टर रोहित सिंह को हटा दिया है। उनकी जगह चिकित्सा शिक्षा विभाग में उप सचिव सोमेश मिश्रा को कलेक्टर बनाकर भेजा गया है। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बेंस ने आदेश जारी करने के साथ ही मिश्रा को तत्काल प्रभाव से झाबुआ पहुंचकर चार्ज लेने के निर्देश दिए हैं। मिश्रा के पास आयुष्मान भारत मिशन के सीईओ का अतिरिक्त प्रभार भी था।


मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि झाबुआ में पिछले तीन दिन में 400 से ज्यादा संक्रमित मिले हैं, जबकि इससे पहले यहां रोजाना 50 से ज्यादा केस नहीं आ रहे थे। इसको लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कलेक्टरों की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सैंपल टेस्ट की संख्या बढ़ाई जाए। इसके साथ ही वैक्सीनेशन पर फोकस करें, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लग जाए।

झाबुआ में 12 अप्रैल को मात्र 491 सैंपल टेस्ट रिपोर्ट में 173 केस पॉजिटिव आए। इस तरह पॉजिटिविटी दर 29% से ज्यादा है। यानी यहां संक्रमण तेजी से पैर पसार रहा है। यदि वैक्सीनेशन की बात करें तो 12 अप्रैल तक 56,156 लोगों को वैक्सीन लग चुका है। लेकिन यह रफ्तार बहुत धीमी है। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को सुबह 34 जिलों के कलेक्टरों से कोरोना की वर्तमान स्थिति पर बात की थी। इसके बाद ही झाबुआ कलेक्टर को हटाने का आदेश हुआ।

इससे एक दिन पहले सोमवार को स्वास्थ्य आयुक्त संजय गोयल पर गाज गिरी थी। गोयल पर आरोप है कि स्वास्थ्य आयुक्त होने के नाते डा. गोयल के पास महामारी की दूसरी लहर से निपटने के इंतजाम करने का पर्याप्त समय था, लेकिन वे नाकाम रहे। अस्पतालों में बिस्तर, इंजेक्शन और आक्सीजन की उपलब्‍धता का निर्णय समय रहते किया जाना था।

यही वजह है कि डा. गोयल की जगह एमपी पॉवर मैनेजमेंट कंपनी के एमडी आकाश त्रिपाठी को स्वास्थ्य आयुक्त बनाया गया है। समय रहते महामारी का आकलन करने और उससे निपटने के आवश्यक इंतजाम नहीं करने से दिक्कतें बढ़ गई। इसी लापरवाही के चलते सरकार ने उन अध‍िकारियों को चिह्नित करना शुरू कर दिया है। जो कोरोना से निपटने के लिए जिम्मेदारी से काम नहीं कर रहे हैं।