जबलपुर । इस्तीफा स्वीकार किए जाने के 19 साल बाद बहाली की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट विवेक अग्रवाल ने अपने आदेश में कहा कि एक बार इस्तीफा स्वीकार करने के बाद उसे वापस लेने की अनुमति नहीं दे सकते। अत्याधिक विलंब तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए एकलपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया। रीवा निवासी महादेव प्रसाद पांडे की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वह पुलिस विभाग में आरक्षक के पद पदस्थ था। प्रताड़ना के कारण उसने फरवरी 1994 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। पुलिस अधीक्षक ने जून 1994 को उसका इस्तीफा स्वीकार कर लिया था। इसके बाद उसने इस्तीफा अस्वीकार करने के लिए आवेदन दिया था। उसका आवेदन इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया था कि एक बार इस्तीफा स्वीकार किए जाने के बाद पुनः नियुक्ति देने का कोई प्रावधान नहीं है। याचिका की सुनवाई के दौरान बताया गया कि याचिकाकर्ता ने स्वैच्छा सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था। जिसे बाद में उसने वापस ले लिया था। इसके अलावा याचिकाकर्ता को उसके कदाचरण के कारण भी दंडित किया गया था। याचिकाकर्ता ने 16 बाद साल 2010 में इस्तीफा अस्वीकार करने आवेदन प्रस्तुत किया था, जो खारिज कर दिया गया था। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि इस्तीफा स्वीकार करने के बाद उसे वापस लेने की अनुमति मामला द्विपक्षीय होने के कारण नहीं दे सकते हैं। उक्त आदेश के साथ एकलपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया।
स्वीकार करने के बाद इस्तीफा वापस नहीं ले सकते, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
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