भोपाल । डॉ. मोहन यादव ने 13 दिसंबर को भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। वे 2003 के बाद प्रदेश में लगातार बन रही भाजपा सरकार के चौथे मुख्यमंत्री हैं। इसके साथ ही अब उनकी सरकार को एक माह पूरा हो गया। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कई सख्त निर्णय लिए। उन्होंने महाकालनगरी में प्रदेश के मुखिया के रात्रि विश्राम नहीं करने के पुराने मिथक को तोड़ा तो अधिकारियों को भी अपनी सख्त कार्यप्रणाली से हद में रहने का संदेश दिया। लोकसभा चुनाव में कुछ माह का समय बचा है। ऐसे में डॉ. मोहन यादव सरकार इन चुनावों को देखते हुए ही काम करते नजर आई। सीएम यादव का फोकस अपनी एक अलग छवि गढ़ने के साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव साधने पर है। आइये बीते एक माह में उनके द्वारा लिए गए फैसलों के मायने समझते हैं:
पहला- धार्मिक स्थलों पर लाउड स्पीकर के शोर पर नियंत्रण
मुख्यमंत्री ने अपने पहले फैसले में छोटी छोटी लेकिन गंभीर समस्याओं को लेकर निर्णय लिया। उन्होंने अपने पहले आदेश में धार्मिक स्थानों पर लाउड स्पीकर बजाने और खुले में मांस और अंडे की बिक्री को लेकर सख्त निर्णय लिया। इन दोनों निर्णय को हिंदुत्व के मुद्दे पर चलने वाला फैसला बताया गया। हालांकि, सीएम ने सभी धार्मिंक स्थलों पर समान रूप से आदेश लागू करा कर विरोधियों को जवाब भी दिया।
दूसरा- भाजपा का संकल्प पत्र अधिकारियों को सौंपा
सीएम ने शपथ ग्रहण के दूसरे ही दिन अधिकारियों की बैठक बुलाई और भाजपा का संकल्प पत्र सौंपते हुए विभाग अनुसार वादों को पूरा करने रोडमैप बनाने निर्देश दिए। इससे उन्होंने अधिकारियों को अपनी कार्यशैली बताते हुए लोकसभा चुनाव को देखते हुए जनता को संदेश दिया कि भाजपा की ही सरकार है, जो कहती है वो करती है।
तीसरा- सीएम ने रात उज्जैन में रूक कर तोड़ा मिथक
मुख्यमंत्री बनने के तीन दिन बाद डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में रात रूक कर सालों पुराना मिथक तोड़ा। माना जाता है कि कोई भी दूसरा राजा उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करता है, ऐसा इसलिए कि उज्जैन के राजा बाबा महाकाल हैं। डॉ. मोहन यादव ने अपने आप को महाकाल का बेटा बताया और उज्जैन में अपने घर पर ही रात बिताई। इसके जरिए उन्होंने मुख्यमंत्री होने के बावजूद अपनी सादगी और नई सोच वाले नेता होने का संदेश दिया।
चौथा-अलग-अलग संभाग में कैबिनेट बैठक
डॉ. मोहन यादव सरकार ने मंत्रियों के विभाग के बंटवारे के बाद अपनी पहली कैबिनेट बैठक जबलपुर में की। अब दूसरी कैबिनेट बैठक उज्जैन और इसके बाद चित्रकूट या रीवा में कैबिनेट प्रस्तावित है। वहीं, ग्वालियर में भी कैबिनेट होनी है। इससे मुख्यमंत्री का यह संदेश देने का प्रयास है कि प्रदेश के सभी क्षेत्र समान हैं। सभी को बराबर महत्व दिया जाएगा किसी की उपेक्षा नहीं की जाएगी।
पांचवां- विक्रम संवत को भी सरकार ने दी मान्यता
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सरकार ने विक्रम संवत को प्रदेश सरकार के सरकारी कैलेंडर में मान्यता दी। इससे उन्होंने साफ संदेश दिया कि हिंदुत्व पर उनका फोकस रहेगा। वहीं, धार्मिक स्थलों पर कैबिनेट बैठक करने से साफ है कि डॉ. मोहन सरकार हिंदुत्व को साधने के प्रयास में जुटी है।
छठवां- गुना बस हादसे और ड्राइवर से अभद्रता पर सख्त
गुना बस हादसे में 13 लोगों की जिंदा जलने से मौत हो गई। इस हादसे में परिवहन से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही सामने आई। कंडम बस सड़क पर दौड़ रही थी। इस मामले में मुख्यमंत्री ने लापरवाही बरतने पर परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव, परिवहन आयुक्त, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, संभागीय परिवहन अधिकारी आरटीओ को हटा दिया। यहीं नहीं एक अन्य मामले में शाजापुर के कलेक्टर किशोर कान्याल को ड्राइवरों की हड़ताल के दौरान आपत्तिजनक भाषा में बात करने पर पद से हटा दिया। इससे सीएम ने साफ संदेश दिया कि जनता से दुर्व्यव्हार और लापरवाही पर किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा।
सातवां- संभाग का प्रभारी बना कर अधिकारियों को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री ने एसीएस स्तर के अधिकारियों को संभाग का प्रभारी बना कर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं, आईपीएस अधिकारियों को भी प्रभार सौंपा गया है। इन अधिकारियों को विकास के साथ कानून व्यवस्था बेहतर करने और सीएम के निर्देशों के पालन की मॉनीटरिंग करने की जिम्मेदारी दी गई है। सीएम ने उज्जैन, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, भोपाल संभाग की बैठक भी की और अधिकारियों को जमीनी हकीकत जानने और प्रशासनिक कसावट के निर्देश दिए।