जबलपुर। धड़ल्ले से हानिकारक पटाखे फोड़ने से वायु गुणवत्ता खराब हुई, शासन की केवल कागजी कार्रवाई है। २२ दिसंबर को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से प्रस्तुत इस दलील पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल के जस्टिस शिवकुमार िंसह तथा एक्सपर्ट मेंबर डॉ.अफरोज अहमद ने निर्देश दिए कि ‘‘प्रतिबंधित पटाखों से हो रहे वायुप्रदूषण पर नियंत्रण हेतु कार्रवाई की गई, ऐसा रिपोर्ट शासन ने प्रस्तुत किया है, अब याचिकाकर्ता ३ सप्ताल के भीतर आपत्ति प्रस्तुत करें।’’
उल्लेखनीय है कि डॉ.पीजी नाजपांडे तथा रजत भार्गव ने अवमानना याचिका दायर कर बताया है कि प्रतिबंधित पटाखों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं हुआ है।
अत: एनजीटी ने ८ नवंबर को इस पर सुनवाई कर राज्य शासन तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिए थे कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कर त्यौहारों में पटाखों के उपयोग संबंधी जारी किए गए गाईड लाईन का भी पालन हो। एनजीटी ने ३० दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए थे।
याचिकाकर्ताओं से दलील देते हुए एड.प्रभात यादव ने बताया कि एनजीटी ने जबलपुर, भोपाल, इंदौर तथा ग्वालियर के वायु गुणवत्ता की मॉनिटरिंग करने के भी निर्देश दिए थे। एनजीटी ने अगली सुनवाई ३१ जनवरी २०२४ को तय की है।
पटाखों के इस्तेमाल से वायु गुणवत्ता खराब
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