
जहाज पर सवार सभी 25 भारतीय क्रू मेंबर्स का स्वास्थ्य ठीक, इन्हें अभी नहीं बदला जाएगा
एशिया से यूरोप तक माल ढुलाई का काम करने वाला ये जहाज 23 मार्च को स्वेज नहर में फंस गया था।
स्वेज नहर में 6 दिन तक फंसे रहे मालवाहक जहाज को निकालने के बाद क्रू मेंबर्स के स्वास्थ्य की जांच हुई। इसपर सवार सभी 25 भारतीय क्रू मेंबर्स का स्वास्थ्य ठीक बताया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जर्मन कंपनी बर्नहार्ड शल्ट शिपमैनमेंट (BSM) ने स्वास्थ्य जांच के बाद फिलहाल क्रू मेंबर्स में किसी भी तरह का बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है।
शिप के फंसने के चलते नहर में ट्रैफिक जाम लग गया था। इससे 150 से ज्यादा मालवाहक जहाज फंस गए थे। इनमें तेल, कॉफी समेत अन्य जरूरी उत्पाद थे। समय से माल की सप्लाई न होने से करीब 50 हजार मिनियन डॉलर का नुकसान हुआ। हर घंटे 400 मिलियन डॉलर के नुकसान का अनुमान लगाया गया।
पूरे मामले की होगी जांच
इस पूरे मामले की जांच शुरू हो गई है। इस बीच, भारत के डायरेक्टरेट जनरल ऑफ शिपिंग अमिताभ कुमार ने कहा, 'चूंकि भारतीय क्रू को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है, इसलिए फिलहाल इस मामले में हम किसी तरह का कोई दखल नहीं कर रहे हैं। इंटरनेशनल मेरिटाइम ऑर्गनाइजेशन के हिसाब से दुर्घटना का शिकार हुए किसी भी जहाज के मामले में उसके कन्वेंशन के मुताबिक जांच होनी होती है। इस जहाज के मामले में भी ऐसी ही जांच की जाएगी।'
अमिताभ ने आगे कहा, 'अगर हमें क्रू मेंबर्स या कंपनी से ऐसी कोई शिकायत मिलती है कि जांच निष्पक्ष नहीं है तो जाहिर तौर पर हम दखल देंगे। मगर अभी तक हमें ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है।'
जहाज की जांच हो रही, फिट होने पर यूरोप जाएगी
ऑल इंडिया सीफेयरर्स एंड जनरल वर्कर्स यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष अभिजीत सांगले के मुताबिक जर्मन कंपनी अभी जहाज की जांच कर रही है। अगर वो फिट पाया जाता है, तो इसी क्रू के साथ जहाज बिना किसी देरी के अपनी मंजिल रोटरडैम की तरफ बढ़ेगा।
23 मार्च को नहर में फंस गया था जहाज
इस मालवाहक जहाज का नाम 'द एवर गिवन' है। पनामा का ये जहाज एशिया से यूरोप के बीच माल ढुलाई का काम करता है। इसकी लंबाई 1300 फीट की है। पिछले मंगलवार यानी 23 मार्च को स्वेज नहर में ये जहाज फंस गया था, जिससे दोनों तरफ का यातायात बाधित हो गया। इस जहाज पर तेल लदा है। इस जहाज के क्रू में 25 भारतीय हैं। इस ट्रैफिक जाम में करीब 150 जहाज फंसे हुए थे, जिनमें 13 मिलियन बैरल कच्चे तेल से लदे लगभग 10 क्रूड टैंकर भी शामिल थे। इसके चलते कई देशों में पेट्रोलियम पदार्थों की डिलिवरी में देरी हो रही थी और कार्गो के फंसने के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया था।