नई दिल्ली | भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने गुरुवार को कहा कि मुद्रास्फीति के लक्ष्य ने अच्छी तरह काम किया है, सरकार को इस पर कायम रहना चाहिए और यह आगे और भी अच्छे नतीजे देने वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि निम्न मुद्रास्फीति स्थाई वृद्धि में योगदान करती है। पूर्व गवर्नर ने आगे कहा, इसलिए, मेरा मानना है कि मुद्रास्फीति के लक्ष्यों ने अच्छी तरह काम किया है और हमें इसके साथ बने रहना चाहिए और आगे की अवधि में यह और अच्छा काम करेगा। इस समय आरबीआई ने मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर बनाए रखने का लक्ष्य तय किया है, जिसमें ऊपर या नीचे की ओर दो प्रतिशत विचलन की गुंजाइश है।
निजीकरण का प्रस्ताव परिवार की चांदी बेचने जैसा नहीं
सुब्बाराव ने एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ इकाइयों (पीएसयू) के निजीकरण का प्रस्ताव परिवार की चांदी बेचने जैसा नहीं है, बल्कि इससे भारत स्थाई रूप से वृद्धि के रास्ते पर कदम रखेगा। उन्होंने कहा, मध्यम अवधि में वृद्धि और मुद्रास्फीति के बीच वास्तव में कोई तनाव नहीं है। कम मुद्रास्फीति सतत वृद्धि में योगदान देती है, क्योंकि इससे उपभोक्ताओं और निवेशकों को जाना-समझा निर्णय लेने की गुंजाइश मिलती है।
मुद्रास्फीति क्या है?
एक निश्चित अवधि में मूल्यों की उपलब्ध मुद्रा के सापेक्ष वृद्धि मुद्रा स्फीति या महंगाई कहलाती है। मान लीजिये आज आप एक प्लेट छोले मसाला 100 रुपये में खरीदते हैं। सालाना मुद्रास्फीति अगर 10% मानकर चलें, यही छोले अगले साल आप 110 रुपये में खरीदेंगे। आपकी आमदनी अगर तुलनात्मक रूप से कम से कम इतनी भी नहीं बढ़ती है, आप इसे या इस प्रकार की अन्य वस्तुओं को खरीदने की स्थिति में नहीं होंगे।