नई दिल्ली: आज से नवरात्र शुरू हो गया है। देवी मंदिरों में आज सुबह से ही भारी भीड़ देखी जा रही है। मंदिरों में माता की पूजा-अर्चना और जगरातों का दौर भी शुरू हो जाएगा। दिल्ली के दुर्गा मंदिरों सजावट से जगमग हो उठे हैं। इस बार नवरात्र चंद्र नक्षत्र में शुरू हो रहा है और यह नक्षत्र बहुत फलदायी माना जाता है। नवरात्र का पहला दिन गुरुवार को है। पहले दिन देवी की कलश स्थापना से पूजा की शुरुआत होती है। हिंदुओं का महापर्व ‘ नवरात्र ’ हर साल की तरह इस साल भी हर्षोल्लास और पूरे भक्ति भाव से मनाया जा रहा है

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक नवरात्र पर्व पर देवी मां की आराधना करने से वह प्रसन्न होकर अपने भक्तों के सभी कष्टों का निवारण करती हैं और उन्हें सुख, समृद्धि प्रदान करती हैं। नवरात्र का पहला दिन माता शैलपुत्री की आराधना से शुरू होती है। मां दुर्गा अपने प्रथम स्वरूप में शैलपुत्री के रूप में जानी जाती हैं।

देवी दुर्गा के नौ रूप हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंधमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री हैं। नवरात्र का अर्थ नौ रातें होता है। इन नौ रातों में तीन देवी पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ रुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं।

नवरात्र के पहले दिन मां के रूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम ' शैलपुत्री ' पड़ा। माता शैलपुत्री का स्वरुप अति दिव्य है। मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और मां के बाएं हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। मां शैलपुत्री बैल पर सवारी करती हैं। मां को समस्त वन्य जीव-जंतुओं का रक्षक माना जाता है। इनकी आराधना से आपदाओं से मुक्ति मिलती है। इसीलिए दुर्गम स्थानों पर बस्तियां बनाने से पहले मां शैलपुत्री की स्थापना की जाती है माना जाता है कि इनकी स्थापना से वह स्थान सुरक्षित हो जाता है। मां की प्रतिमा स्थापित होने के बाद उस स्थान पर आपदा, रोग, ब्याधि, संक्रमण का खतरा नहीं होता और जीव निश्चिंत होकर अपना जीवन व्यतीत करता है।