नैनीताल। एफिल टावर से तीन गुना बड़ा एक एस्टेरॉयड (क्षुद्र ग्रह) रविवार रात 9 बजकर 33 मिनट पर पृथ्वी के नजदीक से गुजरेगा। 2001 एफओ 32 नाम के इस एस्टेरॉयड को आठ इंच डायामीटर (व्यास) या उससे बड़े टेलिस्कोप की मदद से पूरी दुनिया में देखा जा सकता है। इसकी लंबाई करीब 996 मीटर है। नासा ने इसे खतरनाक एस्टेरॉयड्स की श्रेणी में रखा है। हालांकि इससे पृथ्वी को अगले सैकड़ों वर्षों तक किसी तरह का कोई खतरा नहीं है।

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के वैज्ञानिक डॉ. वीरेंद्र यादव के अनुसार, यह एस्टेरॉयड तकरीबन 34.4 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से हमारे सौर मंडल से गुजरने वाला है। यह 5.25 लुनार डिस्टेंस से हमारी पृथ्वी के पास से होकर जाएगा। लुनार डिस्टेंस यानी पृथ्वी और चांद के बीच की औसत दूरी होती है। एक लुनार डिस्टेंस औसतन तीन लाख 84 हजार 400 किलोमीटर के बराबर होता है। इस तरह पृथ्वी के सबसे करीब आने पर भी यह एस्टेरॉयड 20 लाख किलोमीटर से भी ज्यादा दूर होगा।

एस्टेरॉयड व कॉमेट में यह है अंतर
एस्टेरॉयड (क्षुद्र ग्रह) सौर मंडल में सूर्य के चारों ओर घूमने वाली छोटी बड़ी पत्थर की चट्टानें होती हैं। ज़्यादातर एस्टेरॉयड मार्स व जुपिटर की कक्षाओं के बीच चक्कर काटते रहते हैं। इनका आकार सैकड़ों मीटर से लेकर सैकड़ों किलोमीटर तक होता है। वहीं कॉमेट यानी धूमकेतु सौर मंडल में घूमती बर्फ और मिट्टी के पिंड होते हैं। यह बर्फ पानी के साथ-साथ जमी हुई मीथेन, अमोनिया, कार्बन डाईऑक्साइड आदि गैसों से बनी होती है।

जैसे-जैसे कॉमेट सूर्य के पास आता है, सूर्य के तेज के कारण बर्फ पिघलती जाती है और गैसें निकलने लगती हैं। इससे कॉमेट का पिछला हिस्सा पूंछ जैसे दिखने लगता है, जो लाखों किलोमीटर तक लंबी हो सकती है। हालांकि कॉमेट के केंद्र का आकार कुछ किलोमीटर तक ही होता है।