नई दिल्ली । देश में तेल की लगातार बढती कीमतों से मचे हाहाकार के बीच सरकार आने वाले समय में तेल की खपत में कमी के लिए एक योजना पर काम कर रही है। एक अधिकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय जल्दी ही इस बारे में एक उच्च स्तरीय समिति के गठन की तैयारी में है। इसके चेयरमैन नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार होंगे। यह समिति फ्यूल के तौर पर हाइड्रोजन के इस्तेमाल में तेजी लाने के उपायों के बारे में सुझाव देगी। इस एक्सपर्ट कमेटी में वैज्ञा‎निक, कंपनी के लोग और विभिन्न मंत्रालयों के नीतिनिर्माता शामिल होंगे। हाइड्रोजन को फ्यूल के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए रोडमैप बनाने के वास्ते कुमार पहले ही दो बार विशेषज्ञों और संबंधित मंत्रालयों के साथ चर्चा कर चुके हैं। आंतरिक अनुमानों के मुताबिक मौजूदा टेक्नोलॉजी से सोलर एनर्जी से एक किलो हाइड्रोजन बनाने की लागत 70 रुपए होगी जबकि पेट्रोल की मौजूदा कीमत 100 रुपए के आसपास है।  हाइड्रोजन का उत्पादन भारत खुद ही कर सकता है जबकि तेल के मामले में भारत आयात पर निर्भर है। अधिकारी ने कहा कि कमेटी जल्दी ही हाइड्रोजन के लिए एक पॉलिसी रोडमैप देगी जिसके बाद इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में रखा जाएगा। पॉलिसी रोडमैप को अंतिम रूप दिए जाने के बाद इस योजना के लिए वित्तीय आवंटन किया जाएगा। नीतिनिर्माताओं का मानना है कि हाइड्रोजन स्वच्छ ईंधन है और यह पेट्रोल या डीजल से तीन गुना ज्यादा एनर्जेटिक है। नीति आयोग के सदस्य वी. के. सारस्वत ने ईटी से कहा कि नेशनल हाइड्रोजन मिशन पर काम चल रहा है। हाइड्रोजन के उत्पादन की लागत कम करने के लिए तकनीक विकसित की जा रही है। उन्होंने कहा कि हाइड्रोजन का स्टोरेज अब भी चुनौती बना हुआ है लेकिन हाइड्रोजन फ्यूल  का उत्पादन पूरी तरह भारत में होगा। देश में इसके लिए पर्याप्त सोलर प्रोडक्शन कैपेसिटी और इलेक्ट्रोलाइजर्स हैं।