दतिया । नवरात्र में सोने के नए आभूषणों से रतनगढ़ माता का श्रृंगार शुरू हो गया है। इससे माता रानी का श्रृंगार और भी आकर्षक लगने लगा है। मंदिर पर श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए सोने के आभूषणों को गलाकर प्रशासन ने यह नए आभूषण तैयार कराए हैं। जिनमें मातारानी का मुकुट, हार, कर्णफूल, माला आदि करीब 400 ग्राम से अधिक वजन के स्वर्ण आभूषण बनवाए गए हैं। इन नए आभूषणों से रतनगढ़ माता के श्रृंगार में चार चांद लग गए हैं। वहीं अब मंदिर का गर्भगृह भी जल्दी ही चांदी से चमक उठेगा। इसके लिए करीब 35 किलो चांदी का इस्तेमाल होगा।
श्रद्धालुओं ने चढ़ाए थे आभूषण
बता दें कि माता रानी के दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा सोने-चांदी के आभूषण दान पेटी में चढ़ाए गए थे। लंबे समय से सोने-चांदी के इन आभूषणों का ना तो कोई दस्तावेजीकरण था और ना ही इनका उपयोग हो पा रहा था। रतनगढ़ वाली माता पर चढ़ने वाले आभूषण और कुंवर बाबा मंदिर पर चढ़ाए गए धातु के घोड़े और घंटे उपकोषालय सेवढ़ा में वर्षों से बंद पड़े थे। जिसे लेकर प्रयास शुरू हुए और पहली बार डिप्टी कलेक्टर की अध्यक्षता में समिति गठित कर इन आभूषणों का दस्तावेजीकरण कराया गया।
22 सितंबर को दतिया कलेक्टर संदीप माकिन की अध्यक्षता में इन आभूषणों को तुलवाया गया। इस दौरान एसपी प्रदीप शर्मा औरअपर जिला मजिस्ट्रेट रूपेश उपाध्याय, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कमलेश भार्गव भी मौजूद रहे। जिसके बाद साेने के आभूषणों को गलाकर मातारानी के श्रृंगार के लिए नए आभूषण बनाए जाने की पहल शुरू हुई।
देश के विभिन्न राज्यों से आते हैं श्रद्धालु
विषबंध काटने के लिए मां रतनगढ़ का दरबार काफी प्रसिद्ध है। नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इस पवित्र स्थान पर माता के दर्शन करने के लिए श्रद्वालु मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित देश के विभिन्न भागों से बड़ी संख्या में प्रत्येक वर्ष आते हैं। यहां माता मंदिर पर घंटे और कुंवर महाराज मंदिर पर धातु के घोड़े चढ़ाए जाने की परंपरा है। ऐसे में श्रद्वालु अपनी मन्नत पूरी होने पर घंटे और धातु के घोड़े यहां चढ़ाते हैं।
दीपावली के दूज पर यहां लक्खी मेला लगता है। जिसमें सर्पदंश से पीड़ित लोगों के बंध काटे जाते हैं। इस मेले में देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। नवरात्र पर भी यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है।