नई दिल्ली : तीन दिन के भारत दौरे पर आए चीनी राष्ट्रपति शी चिन फिंग से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो टूक कहा कि सरहद पर आपके सैनिकों की हरकत से द्विपक्षीय संबंध प्रभावित हो सकते हैं। गुरुवार को मोदी ने चीनी प्रमुख से कहा, 'ये छोटी-छोटी बातें बड़े से बड़े संबंधों को प्रभावित कर देती हैं। अगर दांत का दर्द हो तो सारा शरीर काम नहीं करता है।' मोदी ने चीनी पीएम को बेबाक तरीके से आगाह किया। भारत की इस चेतावनी के बावजूद चीनी सैनिक पूर्वी लद्याख के चुमार सेक्टर से पीछे नहीं हटे थे। यहां तक की चीनी राष्ट्रपति के निर्देश के 24 घंटे बाद भी पिपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवान जमे रहे।

सूत्रों के मुताबिक, अहमदाबाद में शी चिन फिंग ने मोदी से कहा था कि पीएलए के सिपाहियों को चुमार सेक्टर से पीछे हटने के लिए निर्देश दे दिया गया है। चीनी सैनिकों के भारतीय सीमा में आने से दोनों राष्ट्र प्रमुखों की बातचीत में तल्खी आ गई थी। मोदी की कड़ी आपत्ति के बाद शी चिन फिंग ने पीछे हटने का भरोसा दिलाया। चीनी प्रतिनिधिमंडल के दूसरे सदस्यों ने भी भारतीय समकक्षों को भरोसा दिलाया कि पीएलए के जवानों को पीछे हटने का निर्देश दे दिया गया है। दूसरी तरफ चीनी प्रतिनिधिमंडल सीमा पर तनाव की स्थिति के बारे में खुद को अनभिज्ञ भी बताते रहे।

हालांकि, भारतीय पक्ष को पता था कि सरहद पर पीएलए सैनिकों को इस तरह की कार्रवाई के लिए स्वयत्तता हासिल नहीं है । चीन की तरफ से इस मामले में अनजान बने रहने और बहानेबाजी की प्रवृत्ति अपानाई जा रही थी। चीन को भी पता था कि सरहद पर ऐसी हरकतें अनजाने में नहीं हो रही थीं। शुक्रवार को मिलिटरी आमने-सामने थीं। यह साफ था कि चीनी राष्ट्रपति के दौरे पर जब दोनों देशों को बीच रिश्ते सुधारने की बात हो रही है ऐसे में लद्याख में घुसपैठ भरोसे को जानबूझकर डिगाने के लिए ही था।

यहां तक की दोनों देशों के बीच राजनीतिक और डिप्लोमैटिक गतिविधियां में सरगर्मी के बीच सीमा पर जारी तनाव की छाया से दूर रखने की कोशिश की गई। मोदी और चिन फिंग की शिखर वार्ता को इस तनाव से दूर रखने का पूरा प्रयास हुआ। डिफेंस सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार शाम तक चुमार सेक्टर में जमीनी हकीकत में कोई बदलाव नहीं हुआ था। यहां दोनों तरफ से एक एक हजार सैनिक रणनीतिक पोजिशन लिए हुए थे। 2.5 किलोमीटर के रेंज में शून्य से भी कम तापामान में 14,500 फीट की ऊंचाई पर सैनिक अड़े हुए थे।

पीएलए के जवान वहां अनमने वाली स्थिति में थे क्योंकि वे इस सेक्टर में खुद को सहज नहीं पा रहे थे। सूत्रों ने बताया, 'पीएलए सैनिक एक या दो दिन में इस दिखावे के बाद अपना चेहरा बचाने के लिए पीछे हट सकते हैं। यदि ये नहीं हटते हैं तो भारतीय सैनिकों का जमावड़ा और घना किया जाएगा। ऐसा तब तक रहेगा जब तक यथास्थिति कायम नहीं हो जाती है। इस गतिरोध की स्थिति में भारतीय सैनिक सीमा पर पूरी तरह से चौकस रहेंगे।'

10 सितंबर को जब भारतीय सैनिकों ने पीएलए के हथियारबंद सैनिकों को क्रेन, बुल्डोजर और दूसरे उपकरणों के साथ चुमार सेक्टर में चेपजी से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल तक सड़क बनाते देखा तो कड़ी आपत्ति जताई थी। उसी दिन से सीमा पर गतिरोध कायम है।

सूत्रों ने बताया, 'फिलहाल दोनों तरफ के सैनिकों की बीच अलग-अलग ठिकानों पर 200 से 800 मीटर की दूरी है। अभी अनसुलझे 4,057 किलोमीटर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर कोई खतरा नहीं है। रेग्युलर घुसपैठ और तनातनी के बावजूद दशकों से दोनों देशों के बीच एक भी गोली नहीं चली है। गलती से भटकते हुए पीएलए का एक लेफ्टिनेंट भारतीय क्षेत्र चुमार में आ गया था। उसे भारतीय सैनिकों ने अपने कब्जे में लिया और फिर पीएलए को सौंप दिया।'

लेकिन तीन फ्लैट मीटिंग के बाद भी लोकल कमांडर चुमार में बने गतिरोध को खत्म करने में नाकाम रहे। इसके मुकाबले पिछले दो दिनों में यहां दोनों देशों के सैनिकों की संख्या बढ़ती गई। दोनों तरफ से सैनिकों को लिए हेलिकॉप्टर से खाने पीने से सामान गिराए जा रहे हैं। इसी तरह डेमचोक में भी तनाव कायम है। चीन ने यहां अपने चरवाहों के बुलाकर टेंट लगवा दिया है। पिछले हफ्ते भारत की तरफ से मनरेगा के तहत चल रहे सिंचाई चैनल के काम भी बंद हैं। मोदी और शी चिन फिंग की शिखर वार्ता से ठीक पहले पीएलए ने चुमार में अपने सैनिकों की संख्या और बढ़ा दी। कहा जा रहा है कि पीएलए ने ऐसी हरकत चीनी रणनीति के तहत भारत को संदेश देने के लिए किया।

रणनीतिक रूप से देखें तो भारतीय सैनिकों की चुमार में पीएलए सैनिकों के मुकाबले पोजिशन ज्यादा ठीक है। भारतीय सैनिक पीएलए सैनिकों के मुकाबले ज्यादा ऊंचे स्थान पर हैं। इंडियन आर्मी की 15 बटालियन (हर बटालियन में 800 सैनिक) पूरे लद्याख क्षेत्र में हैं। लेह में अतिरिक्त 14 बटालियन भी तैयार है।