नई दिल्ली। दीपिका पादुकोण को लेकर लिखी गई अंग्रेजी अखबार की खबर और ट्वीट को लेकर शुरू हुआ विवाद थम नहीं रहा है। दीपिका ने इस विवाद पर फेसबुक पर एक बड़ी पोस्ट लिखी है। इसमें उन्होंने कहा है कि अखबार ने खबर की जो हेडिंग दी थी, वह पाठकों को आकर्षित करने के लिए थी। मुझे अपने शरीर की प्रशंसा से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन लोगों को रोल और रियल लाइफ के फर्क को समझना होगा।
दीपिका ने लिखा, जब तक एक औरत खुद हां नहीं कहती, तब तक किसी को यह अंदाजा नहीं लगाना चाहिए कि वह सेक्स करना चाहती है।
कुछ दिनों पहले एक अखबार के सोशल नेटवर्किंग साइट पर डाली गई खबर पर दीपिका पादुकोण की चुप्पी जब टूटी तो इस पर देशभर से प्रतिक्रियाएं आईं। ट्विटर से शुरू हुआ ये विवाद अब फेसबुक पर पहुंचा है। इस बार दीपिका ने सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए अपने नजरिये को और साफ किया है। या, इसे यूं भी कहा जा सकता है कि पूरे विवाद के बाद दीपिका ने अपनी तरफ से सफाई भी दी है और मर्दवादी समाज के सामने आईना भी रखा है।
दीपिका लिखती हैं-
मैंने ये बात इसलिए लिखी है क्योंकि सबको पता है कि देश में एक तय समाज की सोच बदलने के लिए हम कितने जोरदार तरीके से कोशिश कर रहे हैं। इसके सहारे कैसे हम एक ऐसी खुशहाल दुनिया की तरफ बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं जिसमें असमानता, बलात्कार, डर और दर्द जैसी चीजें न हों। मुझे अच्छी तरह से अपने काम के बारे में पता है। मेरा काम बहुत डिमांडिंग है जो मुझसे बहुत कुछ करवाना चाहता है। किसी रोल की मांग ये हो सकती है कि मैं सिर से पैर तक ढंकी रहूं या पूरी तरह नग्न हो जाऊं। तब एक एक्टर के तौर पर मुझे फैसला करना पड़ेगा कि मैं यह करना चाहती हूं या नहीं। यह फर्क समझना होगा कि फिल्मी किरदार और असल जिंदगी में अंतर होता है और मेरा काम मुझे दिए गए रोल को जोरदार तरीके से निभाना है।
बिंदास बोल और बिंदास जिंदगी जीने के लिए मशहूर दीपिका की पहचान शालीन अभिनेत्री की भी रही है। लेकिन अब उनकी नई पहचान खरी-खरी बोलने वाली अभिनेत्री की बन गई है।
इसकी तस्दीक वो खुद यूं करती हैं-
मुझे जो लगता है वो मैं साफ तौर पर लिख रही हूं ताकि इसे शाहरुख के एट पैक्स और किसी औरत के शरीर की बनावट के साथ उलझाया ना जाए। मैंने एक ऐसी विचारधारा के खिलाफ आवाज उठाई है जो हमें पीछे ढकेल रही है। इसका सहारा लोगों का ध्यान खींचने के लिए किया जा रहा है। वो भी ऐसे दौर में जब हम महिलाओं के लिए समानता की लड़ाई लड़ रहे हैं। एक ऐसे वक्त में जब औरतें मर्दों के वर्चस्व वाले समाज में जगह बना रही हैं और जिसके लिए उनकी तारीफ की जानी चाहिए, हम असल जिंदगी और सिनेमा के बीच की लक्ष्मण रेखा को मिटा रहे हैं। एक साल पुरानी बात को ख़बर की तरह पेश करके अपनी सारी कोशिशें खराब कर रहे हैं। एक पुरानी ख़बर निकलकर उसकी हेडलाइन 'OMG: दीपिका क्लिवेज शो' देना पिछड़ी सोच को बढ़ावा देकर ताकत का गलत प्रयोग करना है।
साफ तौर पर दीपिका बीते दिनों शुरू हुए विवाद पर उंगली उठा रही हैं। वो मीडिया की अहमियत और ताकत को मानती हैं, लेकिन ये भी मानती हैं कि इसका बेजा इस्तेमाल हो रहा है।
मीडिया को भी आईना दिखाया
दीपिका यहीं नहीं रुकीं। दीपिका अभिनेत्रियों के हर कदम का पीछा करने वाले मीडिया के कैमरों पर भी अपना रुख साफ करती हैं। इसके जरिए वो कई सवाल खड़े करती हैं। फेसबुक पर दीपिका ने मर्दवादी मानसिकता के साथ-साथ मीडिया को आईना दिखाया।
मीडिया के कैमरे हस्तियों को कैद करते ही रहते हैं। लेकिन बात जब बॉलीवुड के अभिनेत्रियों की करें तो ये कैमरे थोड़ा नहीं बल्कि बहुत ज्यादा नटखट हो जाते हैं और दीपिका की कुछ शिकायतें जायज लगने लगती हैं। ये और बात है कि इनमें से ज्यादातर शिकायत की वजह वही मर्दवादी मानसिकता है।
दीपिका फेसबुक पर मीडिया की मर्दवादी मानसिकता पर कटाक्ष करने और सवाल उठाने से नहीं चूकतीं। वह लिखती हैं-
अगर किसी अभिनेत्री के लिबास इधर-उधर होने से अंदरुनी कपड़े दिखने लगें तो ऐसा नहीं माना जाना चाहिए कि उसने जानबूझ कर ही ऐसा किया होगा। ऐसे में कैमरे को जूम करने और उस विशेष हिस्से को गोल घेरे में डालने और उस पर खास ध्यान दिलवाने के लिए तीर का निशान बनाना ठीक नहीं। इससे बेहतर होगा कि हम उस अभिनेत्री को थोड़ा सम्मान दें और ऐसी बातें जानें दें ना कि उन पर हेडलाइन बनाएं।
ब्लैक एंड व्हाइट जमाने में भी अखबारों के वही पृष्ठ रंगीन होते थे जिनमें हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड की अभिनेत्रियों की जिस्म को दिखाने वाली तस्वीरों को छापा जा सके। इसी की अगली कड़ी पेज थ्री कल्चर में बदल गई, ऐसा मानने वालों की भी कमी नहीं।
बहरहाल, दीपिका साफ शब्दों में इन सवालों को इस तरह उठाती हैं-
क्या हम इंसान नहीं हैं? हां, ऐसा है कि फिल्मों में हम हीरो के एट पैक एब्स को देखकर खुश होते हैं, जलते हैं। लेकिन जब वो हीरो पब्लिक में आता है तो क्या हम उसके क्रॉच यानी दोनों जांघों के बीच के हिस्से पर कैमरा जूम करके ऐसी ही सस्ती हेडलाइन बनाते हैं?
बीते दिनों के विवाद पर दीपिका थोड़ी सफाई भी देती हैं। वह कहती हैं--
मुद्दा ब्रेस्ट या शरीर के किसी और हिस्से पर ख़बर बनाने का नहीं है। खबर किस संदर्भ में बनाई जा रही है, या ख़बर को बेचने के लिए उसका संदर्भ कितना बदला जा रहा है, ये मुद्दा है। वो भी ऐसे दौर में जब औरतों को लेकर सोच में बदलाव की बहुत जरूरत है।
शरीर को लेकर की गई टिप्पणी से शुरू हुए विवाद को दीपिका अब खत्म करना चाहती हैं। वह कहती हैं-
मुझे अपने शरीर की प्रशंसा को लेकर कोई दिक्कत नहीं है। किसी किरदार को पेश करने में मैं कभी नहीं झिझकती। यही नहीं, मेरी अगली भूमिका एक बार डांसर की है। मैं केवल चाहती हूं कि एक महिला को ऑफ स्क्रीन यानी असल जिंदगी में भी सम्मान मिले।
वह आगे लिखती हैं---
मेरे लिए यह बात यहीं ख़त्म हो गई। हर किसी को अपने विचार बनाने की आजादी है। मुझे इसे और लंबा खींचने में कोई दिलचस्पी नहीं है क्योंकि ऐसा करने से इसे गैरजरूरी तवज्जो मिल जाएगी। इसे और तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है जिससे बेचने के लिए और उल्टी-सीधी ख़बरें बन सकती हैं। बस एक ही बात कहना चाहती हूं, क्या हम एक-दूसरे को प्यार, गरिमा और सम्मान दे सकते हैं?
दीपिका के ये सवाल आपके जेहन में लंबे समय तक गूंजते रहेंगे। क्योंकि ये किसी एक महिला का दर्द नहीं, बल्कि बॉलीवुड और ग्लैमर की दुनिया से जुड़ी तमाम हस्तियों की पीड़ा है।
सोनम की दीपिका को सलाह
दीपिका के बयान के बाद उनके समर्थन में एक बार फिर कई बयान आए। लेकिन दीपिका की एक सहयोगी और बॉलीवुड की नामचीन हीरोइन सोनम ने उन्हें नसीहत दी है। सोनम ने कहा है कि महिलाओं को पहले खुद को इज्जत देनी चाहिए तभी हर कोई ऐसा करेगा।