नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारतीय मुस्लिम भारत के लिए जिएंगे और भारत के लिए मरेंगे तथा वे अल कायदा जैसे आतंकी संगठन के इशारे पर नहीं नाचेंगे। मोदी ने कहा, ‘मेरा मानना है कि वे (अल कायदा) हमारे देश के मुसलमानों के साथ अन्याय कर रहे हैं। अगर कोई सोचता है कि भारत के मुसलमान उनके इशारे पर नाचेंगे, तो वे भ्रम में हैं।’ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘भारतीय मुस्लिम भारत के लिए जिएंगे, वे भारत के लिए मरेंगे - वे भारत के लिए कुछ बुरा नहीं चाहेंगे।’ उनसे अल कायदा प्रमुख की ओर से जारी उस वीडियो के बारे में पूछा गया था जिसमें भारत और दक्षिण एशिया में अल कायदा का संगठन खड़ा करने की अपील करते हुए कहा गया था कि गुजरात और कश्मीर में ‘दमन’ का सामना कर रहे मुसलमानों को वे मुक्ति दिलाना चाहते हैं।

प्रधानमंत्री से इस उल्लेखनीय तथ्य के बारे में भी सवाल किया कि भारत में 17 करोड़ मुसलमानों की विशाल आबादी के बावजूद लगता है कि उनमें से कोई भी नहीं या नाम मात्र के अल कायदा के सदस्य हैं जबकि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मुसलमानों पर उसका अच्छा असर है। इस तथ्य के मद्देनजर उनसे सवाल किया गया कि क्या वजह है कि भारत के मुसलमान अल कायदा से प्रभावित नहीं हुए।

इसके जवाब में मोदी ने कहा, पहली बात तो यह है कि इसका वह कोई मनोवैज्ञानिक और धार्मिक विशलेषण करने के विशेषज्ञ नहीं हैं, ‘लेकिन सवाल यह है कि क्या विश्व में मानवता की रक्षा नहीं की जानी चाहिए। क्या मानवता में विश्वास रखने वालों को एक नहीं होना चाहिए। यह मानवता के विरूद्ध संकट है, न कि एक देश या एक नस्ल के खिलाफ संकट है। अत: यह और कुछ नहीं बल्कि मानवता और अमानुषिकता के बीच लड़ाई है।’

अगले सप्ताह अमेरिका यात्रा पर जाने से पहले मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका के लिए यह संभव है कि वे वास्तविक रणनीतिक गठबंधन विकसित कर सकें। उन्होंने कहा, ‘मेरे पास एक शब्द का जवाब है, और पूरे विश्वास के साथ मैं कहता हूं - जी हां। मुझे समझाने दीजिए - अमेरिका और भारत के बीच बहुत सी समानताएं हैं। अगर आप पिछली कुछ सदियों को देखें, दो चीज सामने आएंगी - अमेरिका ने दुनिया भर से आए लोगों को अपनाया है, और दुनिया के हर क्षेत्र में भारतीय हैं। यह दोनों समाज की विशेषता है।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारतीयों और अमेरिकियों में सह-अस्तित्व उनका स्वाभाविक गुण है। हां, यह भी सही है कि पिछली सदी में हमारे रिश्तों में उतार-चढ़ाए आए हैं। लेकिन 20 सदी के अंत से 21 सदी के पहले दशक तक, हमने बड़ा परिवर्तन देखा है। हमारे रिश्ते गहरे हुए हैं। भारत और अमेरिका इतिहास और संस्कृति से एक दूसरे से जुड़े हैं। ये रिश्ते और गहराएंगे।’ यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि अमेरिका की तरफ से भारत के साथ रिश्तों को और बढ़ाने की वास्तविक इच्छा है, मोदी ने कहा भारत और अमेरिका के रिश्तों को महज़ दिल्ली और वाशिंगटन की सीमाओं तक नहीं देखा जाना चाहिए। इसका दायरा कहीं बड़ा है। अच्छी बात यह है कि दिल्ली और वाशिंगटन दोनों में इस समझ पर एकरूपता है। दोनों पक्षों ने इसके लिए भूमिका निभाई है।