
चुनाव प्रभारी का ऐलान:इंदौर-1 के विधायक संजय शुक्ला ही होंगे कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी; पब्लिक सर्वे के आधार पर लिया फैसला
विधायक संजय शुक्ला ने प्रचार भी शुरू कर दिया है। सभी नेता खुले मंच से संजय का नाम लेते रहे हैं।
इंदौर नगर निगम की चुनाव प्रभारी विजयलक्ष्मी साधौ ने एक प्रोग्राम में कहा- यह हम नहीं पब्लिक सर्वे कह रहा कि संजय ही अगले मेयर होंगे
नगर निकाय की कुर्सी से 20 साल से दूर कांग्रेस ने इस बार विधायक संजय शुक्ला पर दांव खेला है। चुनाव प्रभारी और पूर्व मंत्री विजय लक्ष्मी साधौ ने गुरुवार को मंच से कांग्रेस की ओर से महापौर पद के प्रत्याशी के रूप में विधायक संजय शुक्ला के नाम की घोषणा की।
साधौ ने कहा कि लोकप्रिय विधायक या कह दूं कि भावी महापौर...। अब तक तो मेरा भाई अघोषित था, पर अब संजय शुक्ला घोषित महापौर प्रत्याशी है। यह हम कांग्रेसी या मंच वाले नहीं बोल रहे हैं। यह इंदौर की जनता का सर्वे बोल रहा है कि संजय शुक्ला इंदौर का अगला महापौर बनना चाहिए और बनेगा।
शहर कांग्रेस समिति द्वारा गुरुवार को आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में आपाधापी और अव्यवस्थाओं के बीच महापौर पद के प्रत्याशी की घोषणा कर दी गई। नगर निगम चुनाव टिकट वितरण के लिए बनाई गई समन्वय समिति के सदस्य तय समय से करीब सवा घंटा देरी से सम्मेलन स्थल पर पहुंचे। इस कारण सुबह 11 बजे शुरू होने वाला सम्मेलन दोपहर करीब साढ़े 12 बजे शुरू हो सका।
इस बीच कार्यकर्ता मंच के सामने शक्ति प्रदर्शन में लगे रहे। भीड़ हटाने और नारेबाजी बंद करवाने के लिए समन्वय समिति के सदस्य नेताओं को बार-बार मंच से अपील करना पड़ी।
ये नेता रहे सम्मेलन में शामिल
प्रभारी विजय लक्ष्मी साधौ, विभा पटेल के अलावा सज्जनसिंह वर्मा, जीतू पटवारी, संजय शुक्ला, विनय बाकलीवाल, राजेश चौकसे, कृपाशंकर शुक्ला, अमन बजाज और मोर्चा के अध्यक्ष अमित पटेल, शशि यादव, रमीज खान, दौलत पटेल, मुकेश ठाकुर, फौजिया शेख अलीम सहित अन्य निकाय चुनाव समिति के सदस्य भी मौजूद रहे।
इसलिए संजय का नाम रहा सबसे ऊपर
कांग्रेस की ओर से सबसे बड़े चेहरे के रूप में पूर्व मंत्री जीतू पटवारी की ओर देखा जा रहा था, लेकिन उनका महापौर चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं था। इसके बाद संजय शुक्ला का नाम तेजी से उठा, इसका कारण यह था कि शुक्ला ने 2018 के विधानसभा चुनाव में नाक का सवाल बन चुकी इंदौर विस क्रमांक एक पर विधायक रहे सुदर्शन गुप्ता को पराजित किया था। इसके बाद से वे लगातार सक्रिय रहे। इनकी पार्टी में भी अच्छी पकड़ है। विधायक के चुनाव के दौरान कुछ नेताओं ने अपना नाम इनके कहने पर वापस ले लिया था। संजय कमलनाथ और दिग्विजय दोनों के ही करीबी माने जाते हैं।
इंदौर भाजपा का गढ़, इसलिए हर कोई किस्मत आजमाने को तैयार
इंदौर भाजपा का गढ़ कहा जाता है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व लोस स्पीकर सुमित्रा महाजन यहां से 8 बार सांसद रहीं। 20 साल से महापौर पद पर भाजपा का ही कब्जा। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के शंकर लालवानी सबसे ज्यादा अंतर से जीतने वाले सांसद रहे। इसके अलावा हाल में सांवेर विधानसभा में तुलसी सिलावट ने रिकाॅर्ड 50 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल की। इतना मजबूत गढ़ होने से भाजपा की ओर से हर कोई टिकट पाना चाहता है।
फरवरी में निगम का कार्यकाल खत्म हुआ था
नगर निगम महापौर मालिनी गौड़ और 85 पार्षदों का पांच साल का कार्यकाल 2019 में फरवरी में खत्म हो गया था। इसके बाद संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी ने निगम प्रशासक का प्रभार संभाला था। उनके पद संभालते ही इंदौर निगम में 26 साल बाद ऐसा हुआ था। इससे पहले 1994 तक प्रशासक निगम को चला रहे थे।
20 साल से इंदौर में भाजपा राज
साल नाम पार्टी
1995 मधुकर वर्मा कांग्रेस
2000 कैलाश विजयवर्गीय भाजपा
2005 डॉ. उमाशशि शर्मा भाजपा
2009 कृष्ण मुरारी मोघे भाजपा
2015 मालिनी गौड़ भाजपा