भोपाल । शासकीय शिक्षकों की प्रदेश स्तरीय सहकारी संस्था सहकारी कार्य शिक्षा विभाग में एक साल बाद फिर चुनाव की तैयारी हो रही है। इसकी मतदाता सूची तैयार करने के लिए मध्यप्रदेश सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी ने सहायक आयुक्त वर्षा श्रीवास को रजिस्ट्रीकरण अधिकारी नियुक्त किया है। वास्तव में अध्यक्ष जगदीशचंद्र पांडे द्वारा किए गए घपले के कारण नौ संचालकों ने इस्तीफे दे दिए थे। इसके बाद सहकारिता विभाग ने संस्था का बोर्ड भी भंग कर दिया था। संस्था में इंदौर, धार, देवास, खरगोन, खंडवा, भोपाल, सीहोर, सागर, टीकमगढ़ सहित कई अन्य जिलों के शासकीय शिक्षक सदस्य हैं। यह संस्था शिक्षकों के बचत खाते चलाकर उनको जरूरी कामों के लिए लोन भी देती है। संस्था में इस समय करीब 4600 सदस्य हैं। संस्था का मुख्यालय इंदौर में है और इसका कार्यालय नगर निगम कार्यालय के पीछे है। दरअसल, संस्था में आर्थिक अनियमितताओं को लेकर नौ संचालकों ने सहकारिता विभाग को शिकायत की थी। जांच में अध्यक्ष दोषी पाए गए थे।
इन्होंने दिया था इस्तीफा
सहकारिता विभाग द्वारा कोई कार्रवाई न होने पर इन नौ संचालकों ने अप्रैल 2019 में इस्तीफे दे दिए थे। इनमें संचालक मोहन त्रिपाठी, लल्लूप्रसाद मानकेरे, विभूति शुक्ला, राकेश कुमार वर्मा, गौरीशंकर दीक्षित, प्रमोद कुमार दुबे, राजकुमार यादव, बलवंत सोलंकी और भगवतीप्रसाद पंडित शामिल थे। इसके बाद अध्यक्ष ने विभाग से अनुमति लिए बिना मनमाने तरीके से पांच संचालकों की नियुक्ति करके अवैध तरीके से अपने बचाव के कुछ प्रस्ताव पास कर लिए।
बोर्ड को कर दिया था भंग
सहकारिता विभाग ने इन प्रस्तावों को अमान्य करते हुए बोर्ड भंग कर दिया। इसके बाद संस्था में संयुक्त आयुक्त जगदीश कनौज को प्रशासक नियुक्त किया गया। संस्था सदस्य और पूर्व संचालक त्रिपाठी का कहना है कि जांच में दोषी पूर्व अध्यक्ष और उनके सहयोगियों को चुनाव लडऩे से अपात्र घोषित किया जाना चाहिए। जांच तो हुई लेकिन विभाग दोषियों के खिलाफ आगे कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। दोषी लोग फिर चुनकर आए तो संस्था के सदस्यों के हितों के खिलाफ काम करेंगे।