मुंबई । राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के दो सबसे पुराने घटक दलों शिवसेना व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच सीट बंटवारे व मुख्यमंत्री पद को लेकर रार बढ़ती दिखाई दे रही है। इस पर दोनों दल आमने-सामने आ गए हैं। रार का बड़ा कारण विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद पर कब्जे को लेकर है। सीटों के बंटवारे को लेकर भी दोनों दलों में गहरे मतभेद हैं। दोनों दलों के नेताओं की बयानबाजी ने राज्य का सियासी पारा गर्म कर दिया है। शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि अगर हमारे गठबंधन को बहुमत मिला तो मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा। उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनेंगे, जबकि भाजपा के राज्य प्रवक्ता माधव भंडारी का कहना है कि महाराष्ट्र में अगली सरकार भाजपा के नेतृत्व में ही बनेगी।
गठबंधन में तकरार पर भाजपा के महाराष्ट्र प्रभारी राजीव प्रताप रूड़ी ने रविवार को स्पष्ट कहा कि मुख्यमंत्री पद का मसला चुनाव के बाद तय होगा। उनके अनुसार 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा के होने वाले चुनाव में भाजपा-शिवसेना को 135-135 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए। बाकी 18 सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ दी जानी चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि शिवसेना नेतृत्व इस बारे में परिपक्व रुख अख्तियार करेगा। हालांकि रूड़ी के इस फार्मूले से शिवसेना सहमत नहीं प्रतीत हो रही है।
पार्टी कमोबेश 2009 के फार्मूले के आधार पर ही सीटों का बंटवारा चाहती है। उस चुनाव में शिवसेना 169 और भाजपा 119 सीटों पर चुनाव लड़ी थीं। इसमें से भाजपा को 46 और शिवेसना को 44 स्थानों पर जीत मिली थी।
बीते लोकसभा चुनाव में राज्य की 48 में से 42 सीटें जीतने और मीडिया में आ रहे सकारात्मक सर्वे के मद्देनजर शिवसेना-भाजपा नेताओं को भरोसा है कि विधानसभा चुनावों में भी उनके ही गठबंधन की जीत होगी। इसके मद्देनजर दोनों दलों में मुख्यमंत्री पद को लेकर रार भी शुरू हो गई है।
शिवसेना महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े भाई की भूमिका निभाते हुए मुख्यमंत्री पद अपने हाथ से जाने नहीं देनाचाहती। पार्टी सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने शनिवार को शिवसेना की इस महत्वाकांक्षा का जाहिर कर दिया।
एक समाचार चैनल से साक्षात्कार में ठाकरे का कहना था कि यदि मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला तो वह जिम्मेदारी निभाने से भागेंगे नहीं। दोनों दलों में गठबंधन की शुरुआत से ही यह फार्मूला चला आ रहा है कि विधानसभा चुनाव में जिस दल को अधिक सीटें मिलेंगी, वही मुख्यमंत्री पद का दावेदार होगा। इसी दावे को मजबूत करने के लिए शिवसेना स्वयं 169 सीटों पर लड़कर भाजपा को 119 सीटें देती रही है। लेकिन 2009 के चुनाव में भाजपा ने शिवसेना से दो सीटें अधिक जीतकर नेता विरोधी दल का पद हथिया लिया था। शिवसेना इस बार मुख्यमंत्री पद को लेकर ऐसा नहीं होने देना चाहती।
शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत का एक तर्क यह भी है कि लोकसभा चुनाव से पहले जब नरेंद्र मोदी को सभी दल अछूत समझ रहे थे, तब सबसे पहले उद्धव ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाने के लिए अपना खुला समर्थन दिया था। इसी प्रकार अब भाजपा को मुख्यमंत्री पद के लिए उद्धव का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने यहां तक कह दिया कि मुख्यमंत्री तो उनकी ही पार्टी का होगा। राउत का यह बयान शिवसेना सुप्रीमो के उस कथन के बाद आया है, जिसमें उन्होंने भाजपा को सत्ता के लालच से बचने की सलाह दी थी।
किसने, क्या-कहा:
'चुनावों से पहले इस तरह (मुख्यमंत्री पद के बारे में) की बयानबाजी नहीं करने की अपेक्षा की जाती है। चुनाव के बाद यह मुद्दा तय किया जाएगा।'
-राजीव प्रताप रूड़ी, भाजपा के महाराष्ट्र प्रभारी
'अगर राजग की जीत होती है तो मुख्यमंत्री का पद हमें ही मिलेगा। मैं इस पद को संभालने के लिए तैयार हूं।'
-उद्धव ठाकरे, शिवसेना सुप्रीमो
सीएम पद को लेकर भाजपा-शिवसेना आमने-सामने
← पिछली खबर
आपके विचार
पाठको की राय