डेली कॉलेज में 83 कौवों में मिला एच5एन8 एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस, कौवों को 6 फीट गहरे गड्ढे में गाड़ा
कोरोना वायरस के कहर के बीच शहर में कौवों की मौत का मामला सामने आने के बाद बर्ड फ्लू की आशंकाओं ने मेडिकल टीम सहित लोगों को चिंतित कर दिया था, लेकिन प्रारंभिक जानकारी अनुसार यह वर्ड फ्लू का एक टाइप तो है, लेकिन वह टाइप नहीं है जो दूसरें को सभी संक्रमित करे। जांच के दौरान यह पाया गया कि कौवों की मौत एच5एन8 एवियन इन्फ्लूएंजा से हुई है। एच5एन1 से लेकर एच5एन5 टाइप तक वाला वायरस घातक बर्ड फ्लू होता है, जो एक पक्षी से दूसरे पक्षी में फैलता है। वर्तमान में जिस वायरस से कौओं की मौत हुई है। वह केवल कौओं तक ही सीमित है।
कौवे की मौत का मामला सामने आने के बाद शनिवार को वेटनरी विभाग के डॉक्टर और निगम की टीम डेली कॉलेज पहुंची। यहां पर टीम को फिर से 13 कौवे मृत मिले। इसे मिलाकर अब तक डेली कॉलेज परिसर में 83 कौओं की मौत हो चुकी है। उसमें से कुछ कौवों की जांच में एच5एन8 एवियन इन्फ्लूएंजा का वायरस मिला है।
डेली कॉलेज में 29 दिसंबर को पहली बार कुछ कौवे मृत मिले थे। इसकी सूचना मिली तो स्वास्थ्य और पशु चिकित्सा विभाग के अफसर मौके पर पहुंचे। पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक पीके शर्मा ने बताया कि मृत कौओं के सैंपल जांच के लिए भोपाल स्थित प्रयोगशाला में भेजे गए थे। इधर, शुक्रवार को 20 कौवों की मौत के अगले दिन फिर से 13 कौवे मृत मिले।
6 फीट गड्ढा खोदकर मृत कौओं को दफनाया
वायरस से मृत कौवों को निगम की टीम ने पशु विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में शनिवार सुबह एकांत में दफनाया। यहां मौजूद एक कर्मचारी ने पीपीई कीट पहनाकर पहले मृत कौवों को एकत्रित किया। इसके बाद फिर उन्हें काली पॉलीथिन में भरा। इसके लिए पहले जेसीबी की मदद से 6 फीट का गड्ढा खोदा गया। इसके बाद सभी कौवों को गड्ढे में डालकर ऊपर से चूने की परत बिठाई गई। इसके बाद फिर मिट्टी डालकर उन्हें दबा दिया गया।
जनवरी-फरवरी में फैलती है कोराइजा
पशु चिकित्सक डॉ. देवेंद्र पोरवाल के मुताबिक, बर्ड फ्लू दरअसल कोराइजा बीमारी का रूप है, जो पक्षियों, मुर्गियों की ऊपरी श्वास नलिका को प्रभावित करती है। इसे एक तरह का निमोनिया भी कह सकते हैं। ये आमतौर पर जनवरी-फरवरी में ही फैलती है। 7-8 साल पहले इसके मामले आने शुरू हुए थे। सबसे ज्यादा सतर्कता पोल्ट्री फॉर्म में बरतना होगी।