वॉशिंगटन
आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को अब अमेरिका के कड़े ऐक्शन का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन के शीर्ष सूत्र के मुताबिक, वाइट हाउस की ओर से पाकिस्तान को दी जा रही आर्थिक मदद पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं। यूएस की अफगानिस्तान पॉलिसी के सलाहकार रहे इस अधिकारी ने बताया है कि यह रोक तब तक जारी रहेगी जब तक इस्लामाबाद अपने देश में आतंकियों के सुरक्षित ठिकानों पर कार्रवाई शुरू नहीं कर देता। यहां तक कि अब पाकिस्तान पर दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अलग-थलग पड़ने का भी खतरा मंडरा रहा है।
जानकारी की संवेदनशीलता को देखते हुए एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, 'अब पेच कसे जा रहे हैं। ट्रंप का यूएन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से न मिलना इस बात का संकेत है।' सूत्र ने यह भी बताया कि भारत और अमेरिका के लगातार बढ़ते सहयोग के बीच अब चीन के सहयोग के बावजूद पाकिस्तान के अलग-थलग पड़ने की भी आशंका है।
विदेश नीति सलाहकारों के मुताबिक किसी भी तरह के सैन्य या आर्थिक समझौते अब इस बात पर ही निर्भर करेंगे कि इस्लामाबाद आतंकियों पर कैसे कार्रवाई कर रहा है। हक्कानी नेटवर्क को लगातार इस्लामाबाद सरकार की ओर से मिल रहे समर्थन और 6 साल से जेल में कैद शकील अफरीदी नाम के डॉक्टर, जिसने ओसामा बिन लादेन का पता लगाने में CIA की मदद की थी, को रिहा न करना जैसे कई मुद्दों को इस बार वाइट हाउस ने गंभीरता से लिया है।
न्यू यॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान अपने पहले भाषण में भी डॉनल्ड ट्रंप ने आतंकवाद को पनाह देने वाले देशों को सख्त संदेश दिया। ट्रंप ने कहा, 'हमें आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों के खिलाफ खड़ा होना होगा, उन्हें किसी देश से मिल रही फंडिंग, और कोई भी मदद को बंद करना होगा।'
बता दें कि बीते महीने अफगानिस्तान पर यूएस की नई नीति जारी करते समय से ही ट्रंप का आतंकवाद को पनाह देने वाले देशों पर हमला जारी है। ट्रंप ने इसके लिए सीधे तौर पर पाकिस्तान को लताड़ा था और उसी स्पीच में अफगानिस्तान के अंदर भारत से और ज्यादा सहयोग की भी अपेक्षा की थी।