भोपाल गैस कांड में यूनियन कार्बाइड कंपनी के तत्कालीन चेयरमेन वारेन एंडरसन को फरार कराने के आरोपों का सामना कर रहे पूर्व डीजीपी स्वराज पुरी को जबलपुर हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने पुरी के खिलाफ भोपाल जिला अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी है.

हाईकोर्ट ने शिकायतकर्ताओं भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के अब्दुल जब्बार और शाहनवाज खान को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब भी मांगा है. स्वराज पुरी की ओर से ये याचिका दायर की गई थी.

अपनी याचिका में स्वराज पुरी ने कहा है कि मामला करीब 26 साल पुराना 1984 का है और उनके खिलाफ शिकायत करने में हुई इतनी देरी के बाद शिकायत पर कार्रवाई नहीं की जा सकती. आईपीसी की धारा 468 के तहत किसी भी मामले में तीन साल की अवधि के अन्दर ही मुकदमा शुरू किया जा सकता है लेकिन इस मामले में 26 साल की देरी हुई है. लिहाजा इसे खारिज किया जाए.

आपको बता दें कि 2 और 3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात भोपाल गैस कांड में हजारों लोगों की मौत हुई थी. 19 नवम्बर 2016 में भोपाल जिला अदालत में एक शिकायत देकर कहा गया कि गैस कांड के वक्त तत्कालीन एसपी रहे स्वराज पूरी और कलेक्टर मोती सिंह ने वारेन एंडरसन को फरार करवाया.

इस आरोप पर भोपाल जिला अदालत ने स्वराज पुरी और मोती सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 212, 217 और 221 में मुकदमा चलाने का आदेश दे दिया. फिलहाल ये सुनवाई जारी थी, पिछले दिनों भोपाल अदालत ने स्वराज पुरी और मोती सिंह के खिलाफ 5000 रुपये का जमानती वारंट भी जारी किया था.