मध्य प्रदेश के नीमच में एक दंपति पौने तीन साल की बेटी और करीब 100 करोड़ की संपत्ति के साथ राजसी ठाट-बाट छोड़कर संन्यासी बनने जा रहा है. इस दीक्षा की चर्चा पूरे देश में है. संपत्ति के साथ अपनी प्यारी बेटी को छोड़कर दीक्षा लेने का यह पहला मामला माना जा रहा है. यह दीक्षा 23 सितम्बर को साधुमार्गी जैन आचार्य रामलाल महाराज के सानिध्य में गुजरात के सूरत शहर में होगी.
राजसी जीवन छोड़ कर दीक्षा लेने वाले अनामिका और उनके पति सुमित राठौर नीमच शहर के एक प्रतिष्ठित और बड़े बिजनेस घराने से हैं. दोनों की शादी चार साल पहले ही हुई और दंपत्ति की करीब तीन साल की बेटी इभ्या है. बावजूद इसके दंपत्ति ने सांसारिक जीवन को कम उम्र में ही त्यागने का फैसला ले लिया.
परिवार सहित समाज और उनसे जुड़े लोगों ने दोनों को खूब समझाया, लेकिन दोनों दीक्षा लेने की बात पर अडिग ही रहे और गुरुवार को परिवारजनों और समाजजनों से विदाई लेकर वे दीक्षा के लिए रवाना हो गए.
सुमित राठौर लंदन से एक्सपोर्ट-इंपोर्ट में डिप्लोमाधारी है. दो साल लंदन में जॉब करने के बाद नीमच लौटे और फिर अपना कारोबार को संभाला. सुमित की एक करीब 10 करोड़ की फैक्ट्री में 100 लोग काम करते हैं और बेशकीमती जमीनों के साथ बड़ा कारोबार भी है.
पत्नी अनामिका बचपन से काफी होनहार छात्रा रही थी. 8वीं, 10वीं और 12वीं में राजस्थान बोर्ड में टॉप करने के बाद उसने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. हिंदुस्तान जिंक में 8-10 लाख के सालाना पैकेज पर नौकरी शुरू की लेकिन 2012 में सगाई के बाद जॉब छोड़ दिया और सुमित के साथ विवाह बंधन में बंध गई और अब सुमित के ही साथ दीक्षा लेने जा रही हैं.
दोनों के इस कदम पर इसलिए सवाल उठ रहे है क्योंकि तीन साल की एक मासूम अपने माता-पिता के साये से दूर हो जाएगी. हालांकि, दंपत्ति का कहना है कि जिनके मां-बाप नहीं होते उनके बच्चों की भी परिवार में परवरिश होती है.