मध्य प्रदेश में वैज्ञानिकों ने पानी में फ्लोराइड की मात्रा को काबू करने का नुस्खा खोज निकाला है. 10 साल की रिसर्च के बाद वैज्ञानिकों को इसमें सफलता मिली है. रिसर्च के बाद इस प्लांट से मिलने वाले पानी की कॉस्ट महज 15 पैसा प्रति लीटर होगी. जाहिर है प्रदेश के करीब 10 प्रभावित जिलों के सैंकड़ों गांवों को फ्लोराइड से पनप रही बीमारियों से निजात मिलेगी.

प्रदेश के करीब 10 और देश के करीब 13 प्रदेश फ्लोराइड युक्त पानी से पीड़ित हैं. सिवनी, मंडला समेत 10 जिलों के सैंकड़ों गांवों की हालत फ्लोराइड युक्त पानी के कारण बदहाल है. सैंकड़ों गांवों से लोग पलायन कर चुके हैं, बड़ी संख्या में बच्चे बीमार हो रहे हैं. बच्चों के साथ-साथ बड़े भी हड्डियों की अलग-अलग बीमारियों से ग्रसित हैं. लेकिन अब गांवों की इन समस्याओं का हल एमपी के वैज्ञानिकों ने खोज लिया है. फ्लोराइड की मात्रा पानी से कम करने के लिए एक बेहद सस्ता वॉटर प्यूरिफायर तैयार किया गया है. इस प्यूरिफायर को वैज्ञानिकों ने 10 साल की कड़ी मेहनत के बाद तैयार किया है.

इस प्लांट को बनाने में 10 साल से लगे वरिष्ठ वैज्ञानिक आईबी सिंह का कहना है कि इस प्लांट को पेटेंट भी मिल चुका है. अगर कोई कंपनी चाहे तो इस तकनीक को खरीद भी सकती है और सरकार ग्रामीण इलाकों में इसे फ्री ऑफ कॉस्ट भी उपलब्ध करा सकती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्लांट की कॉस्ट बेहद कम है. साथ ही ये प्लांट बिना बिजली के काम करता है. लिहाजा छोटे-छोटे गांवों में भी इसका इस्तेमाल आसानी से किया जा सकता है. ये प्लांट गुरुत्वाकर्षण के आधार पर काम करता है.

इस प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार की ओर से 35 लाख रुपए की फंडिंग के साथ शुरु किया गया था. वैज्ञानिकों को मिली सफलता के बाद अब वो इस तकनीक को ग्रामीण इलाकों में टेस्ट करने के लिए जा रहे हैं. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस खोज से पूरे देश को लाभ मिलेगा.