
भोपाल। राजधानी के सरकारी स्कूल के हालात नहीं सुधर रहे। कोकता साहित शहर के कई प्राइमरी, माध्यमिक स्कूलों की छत बारिश में टपकने लगती है। दीवारें जर्जर हैं। खेल मैदान और शौचालय की भी उचित व्यवस्था नहीं है। शासन हर साल मरम्मत के नाम करोड़ो रुपए देती हैं, लेकिन न तो स्कूल प्रबंधन ध्यान दे रहे न ग्राम पंचायत।
कोकता स्कूल में जिस बर्तन में बच्चे खाना खाते हैं। उनमें कुत्ते मुंह मार रहे हैं। इससे बच्चों में रैबीज फैलने का खतरा है। स्कूल प्रबंधन लापरवाह बना हुआ है। बच्चे ही इन थालियों को साफ करते हैं। फिर इन्हीं में खाना खाते हैं। फिजिशियन डॉ. धीरज शुक्ला का कहना है ऐसी थालियों में खाना खाने से बच्चों में संक्रमण का खतरा रहता है। कोकता में विद्यार्थियों को खुद ही भोजन थाली में लेकर खाना पड़ रहा है। यहां भोजन परोसने के लिए एक ही बाई होने से ऐसी स्थिति बन रही है। स्कूल के शौचालय क्षतिग्रस्त है। इससे विद्यार्थियों को खुले में बाथरूम और शौच के लिए जाना पड़ता है। छात्राओं को ज्यादा परेशानी है। स्कूल की छत बारिश के दौरान टपकती है।
बच्चों को बैठने में परेशानी हो रही है। मजबूरन दोपहर का भोजन झुंड में बैठकर खाना पड़ रहा है। बच्चों के खेलने के लिए मैदान नहीं है। जो है उसमें भी बड़े-बड़े पत्थर पड़े होने से छात्र-छात्राएं खेल नहीं पाते। स्कूल की दीवारें भी जर्जर हो गई है।