मुंबई . शराब किंग विजय माल्या देश में रेस के घोड़ों के सबसे मशहूर मालिक और सबसे बड़े स्पॉन्सर हैं लेकिन अब उन्होंने इस काम से अपने हाथ बाहर खींचने का फैसला किया है। माल्या की युनाइटेड रेसिंग ऐंड ब्लडस्टॉक लिमिटेड(URBBL) ने पिछले कई साल में अपना काम काफी घटाया है और अब वह अपना कुनिगल स्टड फार्म कर्नाटक सरकार को वापस करने वाली है।
माल्या के इस फैसले के बारे में URBBL के मैनेजिंग डायरेक्टर ने हमारे सहयोगी अखबार मुंबई मिरर से बात करते हुए कहा, 'मुझे दुख है कि यह सच है। हम सब्सिडी पर काम करते हैं और फंड की कमी के चलते रेसिंग को जारी रखना को कोई मतलब नहीं रह जाता। घोड़ों की रेस विजय माल्या का शौक और जुनून है। अगर वह भारत में इस खेल के मजे नहीं ले सकते तो कंपनी को चलाने का कोई मतलब नहीं।'
भारत में माल्या लगभग 3 दशकों से घोड़ों की रेस में हैं और उनका इसे अलविदा कहना एक बड़ी खबर है। वह सबसे अच्छी ब्रीड के घोड़ों को खरीदते थे और सबसे बेहतरीन ट्रेनर को उन घोड़ों की ट्रनिंग के लिए लगाते थे। दिग्गज ट्रेनर राशिद बैरमजी ने माल्या के लिए कई विजयी घोड़ों को ट्रेन किया है। वह माल्या के फैसले को भारत में घोड़ों की रेस के लिए इसे बड़ा नुकसान बताते हैं। रॉयल वेस्टर्न इंडिया टर्फ क्लब के पूर्व अध्यक्ष ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने बताया कि माल्या एक बड़े स्पॉन्सर थे और उनकी कमी इस इंडस्ट्री को जरूर खलेगी।
21 साल की उम्र में रखा था कदम
माल्या घोड़ों की रेस में साल 1976 में 21 साल की उम्र में आए थे। उनका पहला घोड़ा एक डैनिश लैड था। 1985 में उन्होंने भारत के सबसे अच्छे स्टड फार्म से ब्लडस्टॉक खरीदकर इसमें बड़ा निवेश किया। 1992 में कुनिगल स्टड फार्म 30 साल के लिए लीज पर मिला था।
माल्या भारत में 2,200 रेस जीत चुके हैं, जिसमें से लगभग 200 क्लासिक रही हैं। वह इस खेल में ग्लैमर लेकर आए और बड़ी स्पॉन्सर शिप देते हुए इस खेल की शक्ल बदल दी। उन्होंने इसे मुंबई में एक सोशल इवेंट बना दिया। किसी समय में माल्या के पास कम से कम 100 घोड़े हुआ करते थे। देशभर में अलग-अलग ट्रेनर उन घोड़ों को ट्रेन करते थे। लेकिन पहले नवंबर में यह संख्या घटकर 85 और अब 35 पर आ पहुंची है।
9,000 का है कर्ज
विजय माल्या मार्च, 2016 में भारतीय बैंकों पर 9,000 करोड़ का कर्ज छोड़कर लंदन चले गए थे। तब से उनकी गैरमौजूदगी के चलते कई सारे कोर्ट उनके खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी कर चुके हैं। बैंकों ने भी उन्हें 'विलफुल-डिफॉल्टर' घोषित किया है। इस साल अप्रैल में भारत की केंद्रीय जांच एजेंसी और प्रवर्तन निदेशालय की दलीलों के आधार पर स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। उनके प्रत्यर्पण के लिए सुनवाई जारी है और भारतीय एजेंसियां ब्रिटिश वकीलों को जरूरी दस्तावेज मुहैया कर माल्या की अर्जी के खिलाफ लड़ रहे हैं। कमी टर्फ क्लब्स और प्रफेशनल्स को काफी खलेगी