वाशिंगटन : पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान बेचने और नई दिल्ली की ओर से एक धार्मिक संस्था को वीजा न दिए जाने के मुद्दे पर भारत के साथ संबंध बिगड़ने की बात से अमेरिका ने इनकार करते हुए कहा कि अमेरिका के भारत के साथ अच्छे और मजबूत संबंध है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि मुझे लगता है कि भारत के साथ और विशेषकर मोदी सरकार के साथ हमारा अच्छा और मजबूत संबंध रहा है और हम इस संबंध को बरकरार रखने की ओर अग्रसर हैं। किर्बी से दैनिक संवाददाता सम्मेलन में जब पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान बेचने और वीजा के मुद्दे की पृष्ठभूमि में, अमेरिका और भारत के बीच सबकुछ उतना आसान नहीं चल रहा, तब उन्होंने कहा कि नहीं, मैं दरअसल इससे असहमत हूं।

उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत से साझा मुद्दे, चुनौतियां और खतरे हैं जिनका सामना हम और भारतीय लोग कर रहे हैं तो निश्चित तौर पर मैं ऐसी बात नहीं करूंगा। किर्बी ने कहा कि मुझे लगता है कि हमारा मोदी सरकार के साथ एक अच्छा, ईमानदार, निष्कपट और रचनात्मक संबंध है और हम इसे जारी रखने की दिशा में अग्रसर हैं। वास्तव में, हम इस संबंध को और प्रागाढ़ करने के इच्छुक हैं। विदेश सचिव एस जयशंकर ने इस सप्ताह विदेश उपमंत्री एंथनी ब्लिंकेन और अन्य सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक की थी।

किर्बी ने कहा कि उन्होंने विभिन्न आर्थिक, राजनीतिक, सुरक्षा जैसे द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमने दोनों देशों के सामने मौजूद विभिन्न मुद्दों पर अच्छी और रचनात्मक वार्ताएं की साथ ही संबंध को प्रागाढ़ करने की और हर साझा चुनौती से निपटने की हमारी कोशिश जारी है। उन्होंने कहा कि जहां तक कि आयोग और वीजा की बात है तो हमने विभिन्न स्तरों पर अपनी चिंता दर्ज कराई है। मैंने उन्हें सीधे यहां इस मंच से यह बताया है। तो हमने अपनी निराशा को जाहिर करने में बिल्कुल भी संकोच या झिझक नहीं दिखाई है। भारत ने पाकिस्तान को लगभग 70 करोड़ डॉलर के आठ एफ-16 लड़ाकू विमान बेचने पर विरोध दर्ज कराया था। भारत ने कहा कि वह वाशिंगटन के इस तर्क से असहमत है कि हथियारों के ऐसे स्थानांतरण आतंकवाद से निपटने में मददगार होंगे।

अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) के सदस्यों को वीजा देने से इंकार करने के अपने फैसले को सही ठहराते हुए भारत ने पिछले सप्ताह कहा था कि इस समूह को भारत के नागरिकों के संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकारों पर अपना फैसला सुनाने या टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है। भारत उन्हें वर्ष 2009 के बाद से वीजा नहीं दे रहा।