नई दिल्‍ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका पर सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्‍हा को नोटिस जारी किया, जिसमें कोयला घोटाले के आरोपियों को कथित रूप से बचाने के सिलसिले में उन्हें पद से हटाने तथा उनके खिलाफ एसआईटी से जांच कराने की मांग की गई है। सुपीम कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए सीबीआई निदेशक को 10 दिन का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 सितंबर की तारीख निर्धारित की। सुप्रीम कोर्ट के दस दिनों के अंदर जवाब मांगने के बाद सीबीआई निदेशक की मुश्किलें बढ़ गई हैं। गौर हो कि याचिका में रंजीत सिन्‍हा को पद से हटाने या जांच कराने की मांग की गई है।  

2जी स्पेक्ट्रम प्रकरण में कुछ आरोपियों को कथित रूप से बचाने के मामले में सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा को नोटिस के एक दिन बाद मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कोयला खदान आबंटन कांड में इसी तरह के आरोपों पर उनसे जवाब तलब किया।

प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कोयला खदान आबंटन कांड के आरोपियों को कथित रूप से बचाने के मामले में विशेष जांच दल गठित करने और करोड़ों रुपये के इस मामले की जांच और मुकदमे से उन्हें अलग रखने के लिये दायर अर्जी पर सीबीआई निदेशक को नोटिस जारी किया।

न्यायालय ने रंजीत सिन्हा को इन आरोपों का जवाब देने के लिये हालांकि दस दिन का वक्त दिया लेकिन उसने इस मामले से सिन्हा को हटाने के लिये कोई आदेश देने से इंकार कर दिया। न्यायलाय इस मामले में अब 19 सितंबर को आगे सुनवाई करेगा। इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही न्यायाधीशों ने टिप्पणी की कि शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ पहले ही सिन्हा के खिलाफ आदेश दे चुकी है। इसलिए अब और किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है।

लेकिन सिन्हा के खिलाफ अर्जी दायर करने वालेगैर सरकारी संगठन के वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि कल दिया गया आदेश 2जी मामले से संबंधित है और कोयला खदान आबंटन मामले में न्यायालय अलग से आदेश दे सकता है। इसके बाद न्यायालय सिन्हा को नोटिस जारी करने पर तैयार हो गया और इस मामले की सुनवाई 2जी प्रकरण की तारीख के बाद निर्धारित की। 2जी स्पेक्ट्रम मामले की सुनवाई 15 सितंबर को निर्धारित है जब न्यायालय सीबीआई निदेशक के जवाब पर गौर करेगा। गैर सरकारी संगठन कामन काज ने अपनी अर्जी में सिन्हा के निवास पर रखे प्रवेश रजिस्टर में कोयला प्रकरण में कथित रूप से संलिप्त शामिल ‘प्रभावशाली’ व्यक्तियों के नाम हैं।

गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों केन्द्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक रंजीत सिन्हा को निर्देश दिया कि घोटाले से जुड़े आगंतुकों से अपने घर पर मिलने के आरोपों के बारे में वह अपनी स्थिति साफ करें। न्यायालय ने कहा कि यह ‘गंभीर’ मसला है। इन आरोपों की मेरिट को लेकर हलफनामा दाखिल करने के प्रति सिन्हा की अनिच्छा पर कड़ी आपत्ति करते हुए शीर्ष अदालत ने उन्हें इस मामले में दायर अर्जी पर जवाब देने के लिये नोटिस जारी किया।