नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में ई-रिक्शा के परिचालन पर प्रतिबंध जारी रहेगा क्योंकि मौजूदा कानून के मुताबिक वे अवैध हैं। इसी के साथ अदलात ने ई-रिक्शा के विनियमन संबंधी नियमों के बनने तक उन्हें चलने देने की अनुमति देने का केंद्र का अनुरोध ठुकरा दिया।न्यायमूर्ति बी डी अहमद और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की पीठ ने यह कहते हुए दिल्ली सरकार और संबंधित अधिकारियों को कानून के मुताबिक काम करने और गैरपंजीकृत ई-रिक्शों को चलने से रोकने का निर्देश दिया कि ‘कानून के अंतर्गत जो चीज प्रतिबंधित है, उसके लिए इजाजत नहीं दी जा सकती।’ पीठ ने यह भी कहा, ‘वर्तमान में जो कानून है, उसके हिसाब से गैरपंजीकृत ई-रिक्शों का परिचालन अवैध है। हम भविष्य में संवैधानिक नियमों में संभवत: लाए जाने वाले वैधानिक बदलाव के बारे में कुछ कह नहीं सकते। इस पर संसद और केंद्र सरकार को गौर करना और कदम उठाना है।’

उसने कहा, ‘फिलहाल यह सुनिश्चित करने के लिए परमादेश जरूर जारी किया जा सकता है कि जो चीज कानून में प्रतिबंधित है, उसके लिए इजाजत नहीं दी जा सकती। अतएव, हम 31 जुलाई, 2014 को जारी अपने इस आदेश की पुष्टि करते हैं कि प्रतिवादी (दिल्ली सरकार एवं अन्य प्राधिकरण) उक्त कानून एवं केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली के अनुरूप कार्रवाई करेंगे और गैर पंजीकृत ई-रिक्शों को नहीं चलने देंगे। इस हद तक रिट याचिका मंजूर की जाती है।’

अदालत ने केंद्र की यह दलील ठुकरा दी कि कानून में कोई रिक्तता है और जबतक उसे भर नहीं दिया जाता, अदालत अस्थायी रूप से ई-रिक्शों को चलने की अनुमति दे सकती है। पीठ ने कहा, ‘हमारे सामने आए मामले में भरने लायक कोई रिक्तता नहीं है और न ही कानून का अभाव है। इसके विपरीत, इस सिलसिले में एक कानूनी प्रतिबंध है।’ पीठ ने कहा कि केंद्र के वकील अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल पिंकी आनंद और बैटरी रिक्शा वेलफेयर एसोसिएशन के वकील आर के कपूर ने जो फैसले उद्धृत किए हैं, उनमें से कोई उनके लिए मददगार नहीं हुआ।

अदालत ने यह फैसला सामाजिक कार्यकर्ता शाहनवाज खान की याचिका पर सुनाया जिन्होंने ई-रिक्शा पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि इन रिक्शों का डिजायन बस चार सवारी को ले जाने के अनुरूप है लेकिन वे उससे ज्यादा सवारी को ले जाते है और यात्रियों की जान जोखिम में डालते हैं।

अदालत ने 31 जुलाई को यह कहते हुए राष्ट्रीय राजधानी में ई-रिक्शों के परिचालन पर रोक लगा दी थी कि प्रथम दृष्टया वे यातायात एवं नागरिकों के लिए खतरनाक हैं। प्रतिबंध हटाने की मांग करते हुए परिवहन मंत्रालय और एसोसिएशन ने कहा था कि जबतक संसद और केंद्र सरकार की ओर से ई-रिक्शों का परिचालन कानूनसम्मत बना दिया जाता है तबतक अदालत केंद्र द्वारा तैयार दिशानिर्देशों के आधार पर चलने दे सकती है। उन्होंने कहा था कि प्रतिबंध हटाने से उन हजारों लोगों और उनके परिवारों की कठिनाईयां कम होंगी जो ये रिक्शा चलाते हैं। साथ ही ऐसे लोगों को भी परेशानी कम होगी जो अपनी यात्रा के अंतिम पड़ाव के लिए ई-रिक्शों पर निर्भर करते हैं।अदालत ने यह भी कहा कि ई-रिक्शे पंजीकृत होने चाहिए, उनके पास परमिट होना चाहिए, उनका उपयुक्त बीमा पॉलिसी हो और उन्हें ऐसे व्यक्ति चलाएं जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस हो।