भोपाल। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने विकास की लंबी छलांग लगाई, उन्होंने विकास की जो नींव रखी उस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इमारत बना रहे हैं। उनके कार्यकाल के दौरान सीआईए देखता रह गया और पोखरण में परमाणु विस्फोट हो गया। वह बोलते थे तो लोग मंत्रमुग्ध होकर सुनते थे।
यह विचार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीजेपी प्रदेश मुख्यालय में वाजपेयी के 92 वें जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। उन्होंने अटलजी से जुड़े अनेक संस्मरण भी सुनाए। कहा-देश के सर्वमान्य नेता की छबि उन्होंने बनाई, विरोधी दल के नेताओं को भी उनकी आलोचना करते नहीं देखा।
शिवराज ने बताया कि अटलजी ने विदिशा सीट खाली की जिस पर पार्टी ने उन्हें चुनाव लड़ाया, जब जीतकर दिल्ली पहुंचे तो वाजपेयी ने शिवराज का विदिशापति कहकर स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने वह वाकया भी सुनाया जब अटलजी ने गंजबासौदा में पंजाब मेल का स्टापेज पुनः शुरू कराया।
दस साल में भी नहीं
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने इस मौके पर कहा कि विडंबना देखिए यूपीए सरकार ने अपने दस साल के कार्यकाल में वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित नहीं कर पाई। जबकि पीएम नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालते ही वाजेपेयी एवं पं.मदनमोहन मालवीय को देश का सर्वोच्च सम्मान से नवाजने का निर्णय किया जबकि मालवीय की पृष्ठभूमि कांग्रेस की रही।प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि वाजपेयी के स्वभाव की सरलता एवं मन की उदारता देखते ही बनती है।
शिवराज से है मुझे जलन
अटलजी से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए चौहान ने कहा कि संसद में हम भी अटलजी के दीवाने थे लेकिन शिवराज को उनका ज्यादा प्यार मिलता था। इस बात को लेकर हम लोग शिवराज से जलन रखते थे। अपने संबोधन में शिवराज ने स्पष्ट करते हुए कहा कि नंदू भैया की जलन स्वाभाविक है, हम विदिशा वाले थे इसलिए अटलजी का भरपूर प्रेम मिला। जन्मदिन पर हम उनके शतायु और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं।
अटलजी की मिमिक्री.. हम पीकर आए!
अटलजी से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए शिवराज ने उन्हीं के अंदाज में अनेक डायलॉग भी सुनाए। यह भी बताया कि एक बार उन्हें नाश्ते में जब फल पेश किए तो वे बोले कि मैं क्या बीमार हूं? क्या कचोरी-समोसे नहीं हैं?
पराठे के शौकीन
अटलजी का एक वाकया सुनाते हुए शिवराज ने बताया कि एक बार अटलजी की चढ़ी हुईं आंखों को लेकर कुछ कानाफूसी होने लगी, तो उसका जवाब स्वयं अटलजी ने रोचक अंदाज में दिया- वह बोले कि लोग कह रहे हैं अटल बिहारी आजकल गगन बिहारी होकर जमीन पर नहीं उतरता। फिर कहा- 'जमीन पर जो उतरे आंखें मिचमिचाकर जमाना ये समझा हम पीकर आए हैं।' शिवराज ने ये पंक्तियां अटलजी की स्टाइल में ही सुनाईं जिस पर जमकर तालियां बजीं।
अटलजी की रखी नींव पर नरेंद्र मोदी ने बनाई इमारत
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