नई दिल्ली: भारत ने बुधवार को कहा कि वह पाकिस्तान से वार्ता को जारी रखेगा, क्योंकि युद्ध कोई विकल्प नहीं है। हालांकि, नई दिल्ली ने इस्लामाबाद को यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वार्ता और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने लोकसभा में कहा कि 30 नवंबर को पेरिस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बीच हुई मुलाकात के दौरान बनी सहमति के बाद आतंकवाद पर वार्ता करने का फैसला लिया गया। इसी के अनुसार बैंकाक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्तरीय वार्ता हुई। उन्हाेंने कहा कि एक ही बैठक से सभी समस्याओं का समाधान नहीं निकल सकता। इसलिए हम आतंकवाद पर बात जारी रखेंगे।
सुषमा ने प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों के सवालों के जवाब में कहा कि युद्ध अकेला रास्ता नहीं है। नई पहल हुई है। शुभकामनाएं दें कि बातचीत से रास्ता निकल सके, ताकि आतंकवाद का साया हमारे सिरों से उठ सके। उन्होंने कहा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के आतंकी शिविरों को लेकर भी बात हो रही है।
करना होगा भरोसा
विदेशमंत्री ने कहा कि वार्ता के लिए हमें भरोसा करना होगा। यह तय हो चुका है कि कोई तीसरा देश मध्यस्थता नहीं करेगा। बातचीत हमें ही करनी है। नए भरोसे के साथ बातचीत की नई पहल हुई है।
जारी रहेगी एनएसए स्तर की वार्ता
सुषमा ने बताया कि दोनों पक्षों ने फैसला किया कि आतंक संबंधी सभी मुद्दों के समाधान के लिए एनएसए स्तरीय वार्ता जारी रहेगी। उन्होंने बताया, पाकिस्तान ने भारतीय पक्ष को आश्वासन दिया है कि मुंबई हमलों से जुड़ी सुनवाई जल्द पूरी करने के लिए वह कदम उठा रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि सरकार देश और सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाना जारी रखेगी।
जारी रहेगी अंतरराष्ट्रीय कूटनीति
विदेशमंत्री ने स्पष्ट किया है कि आतंकवाद का मुद्दा पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय स्तर पर पुरजोर तरीके से उठाया जा रहा है। लेकिन सरकार जहां जरूरत है वहां अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष भी यह मुद्दा उठाएगी। उन्होंने बताया, सरकार के प्रयासों से ही हाफिज सईद जैसे आतंकी, लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा जैसे संगठनों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने वैश्विक आतंकी और संगठन के तौर पर सूचीबद्ध किया है।
सीसीआईटी पर मिल रहा साथ
सुषमा ने कहा कि, प्रधानमंत्री ने जिन भी देशों के प्रमुखों मिलें उनके समक्ष सीसीआईटी और आतंकवाद का मुद्दा उठाया। यह सुखद बात है कि अब हमें कई देशों से इस पर समर्थन मिल रहा है। हमें उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र समझौते (सीसीआईटी) को जल्द संयुक्त राष्ट्र में मंजूर कर लिया जाएगा। बता दें कि इस संधि का प्रभाव भारत ने 1996 में किया था। इसका मकसद आतंकवादियों को प्रतिबंधित करना और उन्हें वित्त पोषण रोकने के लिए सदस्य देशों को बाध्य करना है।
पाकिस्तान से वार्ता जारी, युद्ध अकेला रास्ता नहीं: सुषमा
आपके विचार
पाठको की राय