अहमदाबाद: पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को कुछ राहत देते हुए गुजरात उच्च न्यायालय ने बुधवार को उनके खिलाफ लगाया गया 'सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने' का आरोप रद्द कर दिया, लेकिन देशद्रोह के आरोप को बरकरार रखा। साथ ही, देश की तरक्की के रास्ते में बाधक के तौर पर आरक्षण व्यवस्था की आलोचना की।
सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में संभावित मौत की सजा का प्रावधान है जबकि देशद्रोह में आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। न्यायमूर्ति जेएस पारदीवाला ने अपने आदेश में हार्दिक तथा उनके पांच साथियों के खिलाफ प्राथमिकी में से देशद्रोह के आरोप को हटाने से इंकार करते हुए कहा, ‘‘यदि कोई मुझसे पूछे कि दो ऐसी चीजों के नाम बताओ जिन्होंने इस देश को तबाह किया है या देश को सही दिशा में तरक्की करने से रोका है तो यह है आरक्षण और भ्रष्टाचार।’’
दुर्भाग्य से आरक्षण आजादी के 65 साल बाद भी जारी है
उन्होंने अपने आदेश में कहा, ‘‘बरसों की आजादी के बाद भी आरक्षण की मांग करना इस देश के किसी भी नागरिक के लिए बेहद शर्मनाक है। जब हमारा संविधान बनाया गया था, तो यह समझा गया था कि आरक्षण दस साल के लिए रहेगा, लेकिन दुर्भाग्य से यह आजादी के 65 साल बाद भी जारी है।’’
आरक्षण वैमनस्य के बीज बो रहा है
अदालत ने कहा, ‘‘आरक्षण केवल एक सुरसा की तरह अपना मुंह फैलाकर लोगों के बीच वैमनस्य के बीज बो रहा है। किसी भी समाज में मैरिट के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता। मैरिट एक सकारात्मक लक्ष्य के लिए होती है, जो उन्हें पुरस्कृत करने के लिए होती है जिन कार्यों को अच्छा माना जाता है।’’ आदेश में कहा गया, ‘‘हास्यास्पद स्थिति यह है कि भारत ही केवल एक ऐसा देश होगा जहां कुछ नागरिक पिछड़ा कहलाए जाने की कामना करते हैं।’’ न्यायाधीश ने पटेल कोटा आंदोलन के नेताओं से आरक्षण के लिए हिंसा में शामिल होने के बजाय भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने को कहा।
हार्दिक को मिली राहत
इस बारे में दलीलें सुनने के बाद अदालत ने हार्दिक और उनके पांच अन्य साथियों के खिलाफ लगाए गए तीन आरोपों भारतीय दंड संहिता की धारा 121 (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना), 153 ए (विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता भड़काना) और 153 बी (राष्ट्रीय एकता के खिलाफ बोलना) हटाने का निर्देश दिया। अक्तूबर में, शहर पुलिस की अपराध शाखा ने 22 साल के हार्दिक और उनके पांच अन्य साथियों के खिलाफ देशद्रोह और सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोपों में एक प्राथमिकी दर्ज की थी।
हाईकोर्ट ने दी अंतरिम राहत
बाद में हार्दिक, चिराग पटेल, दिनेश बंभानिया ओर केतन पटेल को गिरफ्तार कर लिया गया था। वे अभी जेल में हैं। हार्दिक के दो अन्य साथियों अमरीश पटेल और अल्पेश कथीरिया को उच्च न्यायालय ने अंतरिम राहत दे दिया था इसलिए उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया।
एक अन्य घटनाक्रम में, उच्च न्यायालय ने आज उनकी गिरफ्तारी से अंतरिम राहत की अवधि 15 और दिन के लिए बढ़ा दी। हार्दिक के खिलाफ देशद्रोह की यह दूसरी शिकायत हैं। इससे पहले उन्हें इसी तरह के आरोप में सूरत पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
हार्दिक पटेल पर राष्ट्रद्रोह का मामला बरकरार
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