नई दिल्ली : हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके दिग्गज सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग के सम्मान समारोह पर डीडीसीए ने गेंद बीसीसीआई के पाले में डाल दी है।
डीडीसीए ने यह कहकर बात टालने की कोशिश की है कि बीसीसीआई ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है। इससे पहले सहवाग को भी उसी तरह सम्मानित किये जाने का फैसला हुआ था, जैसे मुंबई में जहीर खान को किया गया था। अभी यह भी साफ नहीं हो पाया है कि सहवाग हरियाणा की तरफ से विदर्भ के खिलाफ मंगलवार से शुरू होने वाले आखिरी रणजी ट्रॉफी मैच (जो उनके करियर का अंतिम प्रथम श्रेणी मैच होगा) में खेलेंगे या नहीं।
हालांकि कार्यकारी अध्यक्ष चेतन चौहान और अदालत से नियुक्त पर्यवेक्षक मुकुल मुद्गल ने इस मामले पर कुछ नहीं कहा। पहले के वादे के अनुसार डीडीसीए ने अब तक राज्य के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर के नाम पर कोटला के किसी स्टैंड या गेट का नाम नहीं रखा है और फिलहाल उन्हें सम्मानित करने के भी कोई आसार नजर नहीं आ रहे।
चौहान ने कहा, 'हमें इस मामले में बीसीसीआई से कोई सूचना नहीं मिली है।' न्यायमूर्ति मुद्गल ने कहा कि उन्हें यह सूचना मिली है कि दिल्ली प्रशासन 1983 और 2011 की विश्वकप विजेता टीमों का सम्मान करना चाहती है।
उन्होंने कहा, 'लेकिन मैं नहीं जानता कि इसके लिये क्या औपचारिकताएं होंगी। अभी तक के सभी रणजी और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों को कम्प्लीमेंट्री पास भेजे जाएंगे। हम इन टिकटों पर मनोरंजन कर अधिकारी की मुहर लगने का इंतजार कर रहे हैं।' डीडीसीए कोषाध्यक्ष रविंदर मनचंदा ने कहा कि बीसीसीआई जल्द ही 20 करोड़ रुपये का अनुदान जारी करेगा जिसमें उनके प्रसारण अधिकार का हिस्सा भी शामिल है।
BCCI-DDCA की टालमटोल से अधर में सहवाग का सम्मान
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