लोकसभा में संविधान के मुद्दे पर चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने एक तरफ जहां संविधान निर्माताओं के योगदान को नमन किया, वहीं इस पर भी बल दिया कि भारतीय संविधान हमारे लोकतंत्र की आत्मा है.

मोदी ने अपने लंबे भाषण में इस बात पर बल दिया कि आज हमारा देश न्याय, समरसता और तरक्की के मार्ग पर अग्रसर है तो इसकी वजह हमारे संविधान की ताकत है.

मोदी ने अपने पूरे भाषण में इस बात पर जोर दिया कि ये संविधान की ही ताकत है जिसने गरीबों,पिछड़ों और मजदूर वर्ग को सम्मान से जीने का हक दिया है.

उन्होंने बाबा साहेब अंबेडकर के योगदान को जिस तरह से याद किया उसकी तारीफ की जानी चाहिए.

उन्होंने बड़ी खूबसूरती और शिद्दत से उनके योगदान को याद किया. प्रधानमंत्री का ये कहना कि संविधान हमारे लिए मार्गदर्शक है, ये दिखाता है कि भारतीय लोकतंत्र एक सुरक्षित हाथों में है. सबसे बड़ी बात जो मुझे लगती है वो ये है कि लोकसभा में बोलते हुए उन्होंने उन सभी लोगों का माकूल जवाब दे दिया जो लोग इन दिनों असहिष्णुता के मुद्दे पर उनको बुरी तरह से घेरने में लगे हुए हैं.

मोदी का ये कहना कि हम संविधान की शक्ति से जन-जन को परिचित कराएं. उनका प्रयास 26 नवंबर की महत्ता को उजागर करना 26 जनवरी को नीचा दिखाने का प्रयास नहीं है, बल्कि 26 जनवरी का महत्व और बढ़ाना है.

इससे पूर्व सरकार ने लोकसभा में आश्वासन दिया कि ‘सेक्युलर’ शब्द संविधान की प्रस्तावना में बना रहेगा और इसे संशोधित करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है. इससे ये दिखाता है कि वो एक सहिष्णु प्रधानमंत्री हैं और किसी को गलतफहमी नहीं होनी चाहिए.

संविधान की महत्ता को स्वीकार करते हुए मोदी ने ढेर सारी और बहुत अच्छी बातें भी कहीं. उन्होंने कहा कि संविधान नागरिकों के सम्मान और देश की एकता को साकार करता है.

मोदी ने संविधान को लेकर एक आधुनिक दृष्टिकोण भी पेश किया. उनका मानना है कि इस मुद्दे पर ऑनलाइन प्रतिय़ोगिता शुरु करने पर विचार हो.

सबसे दिलचस्प बात यह है कि मोदी ने विपक्ष का मुंह भी ये कहते हुए बंद करा दिया कि पूर्व की सभी सरकारों के सहयोग से ही देश आगे बढ़ रहा है.