
पेरिस: फ्रांस ने सीरिया में आईएसआईएस के ठिकानों पर हमले शुरू कर दिए हैं। पेरिस में दो दिन पहले आतंकी हमले के बाद फ्रांस की यह पहली जवाबी कार्रवाई है। रविवार रात फ्रांस के फाइटर जेट्स ने अमेरिकन इंटेलिजेंस की मदद से सीरिया के रक्का शहर में 20 से ज्यादा बम गिराए। यह आईएसआईएस हेडक्वार्टर्स माना जाता है। उधर, अमेरिकी फाइटर जेट्स ने भी सोमवार को पहली बार इस्लामिक स्टेट के सैकड़ों ऑयल ट्रकों पर हवाई हमले किए। अमेरिका और फ्रांस की जवाबी कार्रवाई के बाद आईएसआईएस ने धमकीभरा नया वीडियो जारी किया। इस वीडियो में कहा गया कि वॉशिंगटन में भी पेरिस जैसे हमले करेंगे।
आईएसआईएस ने क्या दी धमकी?
> आईएसआईएस ने वॉशिंगटन पर हमले की धमकी देते हुए एक और वीडियो जारी किया। इस वीडियो में सीरिया में कार्रवाई करने वाले देशों पर जवाबी हमले की धमकी दी गई है।
> न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, वीडियो में कहा गया है कि फ्रांस की तरह अन्य देशों को भी ऐसे ही हमले भुगतने पड़ेंगे। वॉशिंगटन में हम पेरिस जैसे हमले करेंगे।
>बता दें कि फ्रांस ने रक्का में अमेरिकन इंटेलिजेंस की मदद से जवाबी कार्रवाई की है।
वॉशिंगटन डीसी पर होंगे हमले
संगठन के लड़ाके ने धमकी देते हुए कहा कि बीते शुक्रवार को इस्लामिक स्टेट ने फ्रांस में हमले किए हैं। इसी तरह के हमले अमेरिकी राजधानी वॉशिंगटन डीसी में किए जाएंगे। हालांकि शुरुआती रिपोर्ट में इस वीडियो की पुष्टि नहीं की गई है।
आतंकियों के तलाश में छापे
इस बीच, फ्रांस ने दो दिन में आतंकियों और संदिग्धों की तलाश में देशभर में 150 छापे मारे हैं। बता दें कि शुक्रवार-शनिवार रात पेरिस में हुए हमलों में 128 लोगों की मौत हुई थी। (पेरिस हमले की खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
फ्रांस ने देश में क्या की कार्रवाई?
> आतंकियों की तलाश में अपने देश में कई जगहों पर एक साथ छापेमारी शुरू कर चुका है।
> फ्रांस के पीएम मैन्युअल वाल्स ने कहा कि पेरिस पर हमलों के बाद बीते दो दिन में हमारी पुलिस ने देशभर में आतंकियों और संदिग्धों की तलाश में 150 छापेमारे हैं।
> लियॉन में हथियारों का जखीरा पकड़ा गया है।
फ्रांस की एयरफोर्स ने सीरिया में कहां किए हमले?
> फ्रांस ने अमेरिकी इंटेलिजेंस की मदद के जरिए यह जवाबी कार्रवाई की। रक्का शहर आईएसआईएस आतंकियों का गढ़ माना जाता है।
> ये बम सीरिया के रक्का में बरसाए गए। यह खुद को खलीफा करार दे चुके बगदादी का मजबूत पकड़ वाला इलाका है। आईएसआईएस इसे अपना हेडक्वार्टर्स मानता है।
> फ्रांस के डिफेंस मिनिस्टर के प्रवक्ता मिखाइल सोरिया ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और जॉर्डन से 12 फाइटर प्लेनों ने सीरिया के लिए उड़ान भरी थी। इन्होंने आईएस के ठिकानों पर हवाई हमले किए।
> फाइटर जेट्स ने आईएस के कमांड सेंटर, गोला-बारूद के एक डिपो और लड़ाकों के कैंप पर बम गिराए।
13/11 के बाद फ्रांस ने दिखाई ताकत, क्या 26/11 के बाद भारत की थी मजबूरी?
पेरिस आतंकी हमलों को मुंबई के 26/11 हमलों की तरह ही देखा जा रहा है। हमलों के दो ही दिन बाद फ्रांस के फाइटर प्लेनों ने सीरिया में आईएसआईएस के गढ़ रक्का में 20 बम गिरा दिए। फ्रांस ने तुरंत जवाबी कार्रवाई कर दी। लेकिन मुंबई हमलों के बाद भारत ऐसा नहीं कर पाया था। आखिर वे क्या वजहें थीं कि भारत की तरफ से जवाबी कार्रवाई नहीं की गई?
> मेजर जनरल जीडी बख्शी के मुताबिक, मुंबई के 26/11 हमलों के बाद अगर भारत चाहता तो वह भी फ्रांस जैसी जवाबी कार्रवाई कर सकता था। लेकिन, भारत की लीडरशिप में इच्छाशक्ति की कमी थी।
> भारत पर 26/11 के बाद अमेरिका का काफी दवाब था। अमेरिका पाक की मदद से अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा था। और वह नहीं चाहता था कि पाक अपनी सारी आर्मी भारत से बचाव के लिए इस्तेमाल करे।
> यही मुख्य वजहें हैं कि भारत ने उस समय कोई कार्रवाई नहीं की। बख्शी के मुताबिक, यूरोप और अमेरिका के आतंकवाद पर दोहरे मापदंड हैं। अगर, यूरोप और अमेरिका में कोई घटना होती है तो उस पर दुनियाभर में हलचल होती है, लेकिन भारत में अगर लाशें गिरें तो उनके लिए पैमाने अलग हो जाते हैं।
फ्रांस इसलिए कर पाया हमले भारत म्यामांर में इसलिए कर पाया था जवाबी कार्रवाई भारत मुंबई हमलों के बाद इसलिए कदम नहीं उठा पाया
सीरिया में ISIS के खिलाफ जंग में फ्रांस पहले से शामिल है। म्यामांर में कार्रवाई भारत के लिए ज्योग्राफिकली मुमकिन थी। पाकिस्तान में भी ज्योग्राफिकली कार्रवाई मुमकिन थी लेकिन पाक न्यूक्लियर स्टेट है। उसकी बॉर्डर में आसानी से एंट्री नहीं हो सकती थी।
पेरिस हमले हुए तो ISIS के खिलाफ हवाई हमले में अमेरिका ने फ्रांस की मदद की। जवाबी कार्रवाई में भारत को म्यांमार सरकार से मदद मिली। साथ ही भारत पर अमेरिका का प्रेशर था। अमेरिका अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की मदद ले रहा था।
फ्रांस के राष्ट्रपति ने क्या कहा था?
फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद ने शुक्रवार को पेरिस में हुए हमलों को आईएस की तरफ से जंग का एलान करने वाला कदम बताया था। उन्होंने कहा था, ''हमें पता है कि पेरिस पर हमला करने वाले कौन हैं? हम उनसे बदला लेंगे। उन्हें हम बेरहमी से मारेंगे।''
आईएसआईएस ने दी है और हमलों की धमकी
पेरिस हमले के बाद आईएसआईएस ने एक वीडियो मैसेज जारी कर कहा था कि हम फ्रांस को चैन से नहीं जीने देंगे। आईएसआईएस ने कहा था, "हमारा संगठन सीरिया और इराक के बाहर भी हमले करने में काबिल है। फ्रांस आगे भी ऐसे हमले झेलने के लिए तैयार रहे।''
क्यों टारगेट बन रहा है फ्रांस?
पहला कारण
फ्रांस सीरिया और इराक में अमेरिकी फौज का साथ देता रहा है। इसलिए आईएसआईएस उसे निशाना बना रहा है। अमेरिकी अगुआई वाली आर्मी में फ्रांस की फौज भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है। फ्रांस सीरिया, इराक ही नहीं, माली और लीबिया में भी अमेरिकी सेना का साथ दे चुका है। फ्रांस ने विदेशों में जिहादियों से लड़ाई के लिए 10 हजार सैनिक भेज रखे हैं। इसमें वेस्टर्न अफ्रीका में 3 हजार, सेंट्रल अफ्रीका में 2 हजार और 3200 सैनिक इराक में तैनात हैं।
दूसरा कारण
पूरे यूरोप में फ्रांस में ही सबसे ज्यादा मुस्लिम रहते हैं। ऐसे में, आईएसआईएस यहां अपना स्लिपर सेल आसानी से एक्टिव कर लेता है। यूरोपीय सीमाई देशों से इन्हें आसानी से गन, विस्फोटक और हथियारों की सप्लाई हो जाती है। इस्लामी जिहाद के खिलाफ फ्रांस हमेशा अमेरिका के साथ रहा है।
तीसरा कारण
फ्रांस ने माली में अल कायदा के खिलाफ 2013 में मोर्चा खोला था। यहां उसका मुकाबला अल कायदा के कमजोर पड़ चुके आतंकी ग्रुप इस्लामिक मगरीब से था। पंद्रह दिन पहले ही AQIM के लीडर ने समर्थकों को फ्रांस पर हमले के लिए कहा था।
चौथा कारण
पिछले हफ्ते ही फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद ने एलान किया था कि इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई के लिए वे इराक के गल्फ इलाकों में एयरक्राफ्ट कैरियर भेजेंगे।