नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने सोमवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दादरी कांड जैसी घटनाओं पर जानबूझा कर चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि उनके मंत्रिमंडल और पार्टी के सहयोगियों ने महज बिहार चुनाव जीतने के लिए इस मुददे को जीवंत बनाए रखा है। वह इस बात से भी सहमत हुए कि मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह बिहार में एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ खड़ा कर रहे हैं। उन्होंने इस संदर्भ में एक पाकिस्तानी विश्लेषक का जिक्र किया जिसके अनुसार पड़ोसी देश इससे उबरने की कोशिश कर रहा जबकि भारत इस ओर बढ़ रहा है।
वित्त मंत्री जेटली द्वारा 2002 से असिहष्णुता से मोदी के सर्वाधिक पीड़ित होने की बात कहे जाने पर जेटली पर हमला बोलते हुए शौरी ने कहा कि यह सबसे घटिया बचाव है जो उन्होंने सुना है। असहिष्णुता के वातावरण के खिलाफ पुरस्कार लौटा रहे लेखकों और कलाकारों के समर्थन में उतरते हुए उन्होंने इंडिया टुडे चैनल पर करण थापर से कहा कि वे देश की चेतना के प्रहरी हैं और उनके इरादों पर सवाल नहीं किया जा सकता।
पीएम भार्गव जैसे वैज्ञानिकों और इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति की सराहना करते हुए शौरी ने सवाल किया कि ये लोग उग्र कहे जा सकते हैं, जिस शब्द का इस्तेमाल जेटली ने किया था। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने देश के लिए अपार योगदान दिया और जिन लोगों ने उन पर प्रहार किया उन्होंने पिछले 20 साल में कोई पुस्तक नहीं पढ़ी। जो लोग दो पैराग्राफ नहीं लिख सकते वे लेखकों पर फैसले करने के लिए बैठे हुए हैं।
किसी भी और हर मुददे पर प्रधानमंत्री से नहीं बोलने की उम्मीद रखने के भाजपा नेताओं के बार बार दोहराए गए बयानों को खारिज करते हुए शौरी ने कहा कि वह वही कर रहे हैं और उन मुददों पर नहीं बोल रहे हैं जिन पर उन्हें बोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री होम्योपैथी विभाग के सेक्शन ऑफिसर नहीं हैं। वह कोई विभागाध्यक्ष नहीं हैं। वह प्रधानमंत्री हैं। उन्हें देश को नैतिक पथ दिखाना होगा। उन्हें नैतिक मानदंड स्थापित करने होंगे।
शौरी ने दादरी कांड के शीघ्र बाद केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के जन्मदिन, जेम्स कैमरन के जन्म दिन, मक्का में भगदड़ और अंकारा विस्फोट जैसे मुद्दों पर मोदी के ट्वीट का हवाला दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लेकिन उन्होंने दादरी घटना और हरियाणा में दो दलित बच्चों की हत्या जैसी घटनाओं पर चुप्पी साधे रखी। वह चुप्पी साधे हुए हैं जबकि उनकी पार्टी के सहकर्मी और मंत्री इस मुद्दे को जीवंत रखे हुए है।
यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी की चुप्पी राजनीतिक है, उन्होंने कहा, मुझे ऐसा लगता है। आप दोनों रास्ते पर नहीं चल सकते। आप बहुत मजबूत नेता हैं लेकिन आप अपने सदस्यों को नियंत्रित नहीं कर सकते।
पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम पर शर्मा की विवादास्पद टिप्पणी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कलाम जिस मकान में रहे थे उसे शर्मा को आवंटित करना लोगों के मुंह पर थूकने जैसा है। यह सचमुच में प्रतीकात्मक है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इसका इरादा किसी भी कीमत पर बिहार चुनाव जीतने का है। उन्होंने कहा कि मोदी अपनी चुप्पी के परिणामों को महसूस नहीं कर रहे और यह आग न सिर्फ उन्हें बल्कि पूरे देश को जला देगी। ये मुद्दे देश के सामाजिक ताने बाने में तनाव डालेंगे। शौरी ने कहा कि बिहार में कोटा मुद्दे पर अपने भाषणों से मोदी ने खुद को लालू प्रसाद के स्तर तक नीचे ला दिया है जबकि नीतीश कुमार राजनेता की तरह दिख रहे हैं।
उन्होंने बिहार में भाजपा के हारने पर पाकिस्तान में पटाखे जलाए जाने के भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बयान को भी खारिज कर दिया और कहा कि अब चीजें अलग हैं। इस संदर्भ में उन्होंने एक पाकिस्तानी विश्लेषक का हवाला देते हुए कहा कि पटाखे पहले ही वहां जलाए जा चुके हैं।
अरुण शौरी का पीएम पर हमला, बिहार चुनाव तक चुप हैं मोदी
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