राज्यपाल राम नाईक ने सरदार पटेल जयंती पर राष्ट्रीय एकता की शपथ दिलाने के लिए बीच में राष्ट्रगान रोक दिया। यह बात दीगर है कि सियासी गलियारों में इसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कोई इसे अपमान मान रहा है तो कोई तालमेल का अभाव।
हुआ यह कि शपथ ग्रहण समारोह का संचालन कर रहे मुख्य सचिव आलोक रंजन ने परंपरा के अनुसार शपथ समारोह को समाप्त करने की राज्यपाल से अनुमति मांगी। राज्यपाल ने अनुमति दे दी। इसके साथ ही राष्ट्रगान शुरू हो गया। तभी राज्यपाल की प्रमुख सचिव सुश्री जूथिका पाटणकर ने राज्यपाल से कुछ कहा। इस पर राज्यपाल ने हाथ से राष्ट्रगान की धुन रोकने का इशारा किया। हालांकि उनके साथ खड़े मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ऐसा करने से राज्यपाल को रोकना चाहा। लेकिन अंतत: राज्यपाल ने राष्ट्रगान रुकवा ही दिया।
राष्ट्रगान रुकने के बाद राज्यपाल ने सभी को सरदार पटेल जयंती पर राष्ट्रीय एकता की शपथ दिलाई। इस शपथ के लिए एक पर्चा सभी को पहले ही वितरित किया जा चुका था। लेकिन यह शपथ कब और कैसे होगी, इसके बारे में पहले से नहीं बताया गया था। न ही मंच से पहले से घोषणा की गई थी। शायद संचालन कर रहे मुख्य सचिव भी इससे अनजान थे। ऐसा शायद राजभवन और शासन के बीच तालमेल के अभाव में हुआ। बहरहाल, मुख्यमंत्री सहित गांधी सभागार में मौजूद सभी लोगों ने राष्ट्रीय एकता की शपथ ली। उसके बाद राज्यपाल ने दोबारा राष्ट्रगान कराया। इस बार पूरा राष्ट्रगान हुआ।
अखिलेश मंत्रिमंडल के विस्तार में राष्ट्रगान का अपमान, राज्यपाल नाईक पर सवाल
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