कालाबाजारी करने वालों और जमाखोरों पर सरकार  की ओर से देश भर में सख्ती किए जाने के बाद पिछले कुछ हफ्तों से दाल की कीमतों में आ रहा उबाल अब कुछ शहरों में ठंडा होता दिख रहा है। सरकार द्वारा की जा रही छापेमारी में अब तक 50,000 टन दालें जब्त की जा चुकी हैं, जिनमें से 15,000 टन पिछले कुछ दिनों में ही बरामद हुई हैं। मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि लंबी अवधि की योजना के तहत सरकार दालों के लिए 5 लाख टन का बफर स्टॉक तैयार करने की योजना बना रही है। इसके लिए सीधे किसानों से नियमित आधार पर खरीद की जाएगी। इस साल नवंबर से नेफेड के जरिये 40,000 टन दालों की खरीद से इसकी शुरुआत होगी और बाद में धीरे-धीरे खरीद बढ़ाई जाएगी। कुछ अधिकारियों ने कहा कि इस बारे में कैबिनेट प्रस्ताव लाने पर विचार हो रहा है। इस माह की शुरुआत में कृषि राज्यमंत्री संजीव बालियान ने किसानों से सीधे 40,000 टन दालों की खरीद की योजना की रूपरेखा तैयार की थी। सरकार के एक वरिष्ठï अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘हम खरीद को 40,000 टन तक सीमित नहीं रखेंगे और घरेलू बाजार से नियमित तौर पर इसकी खरीद जारी रह सकती है।’

इस बीच, दाल आयातकों की आज वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें उन्होंने भंडारण सीमा हटाने की मांग की। साथ ही आयातकों ने सरकार को रोजाना आधार पर खुदरा आउटलेटों के जरिये बिक्री के लिए 100 टन अरहर दाल देने की पेशकश की। इन दालों की बिक्री मदर डेयरी के सफल और अन्य स्टोरों के जरिये 135 रुपये प्रति किलोग्राम के दर से की जाएगी। सरकार ने हाल ही में दालों की जमाखोरी रोकने के लिए आयातकों, निर्यातकों, डिपार्टमेंटल स्टोरों और लाइसेंसशुदा खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं पर भी भंडारण सीमा लगा दी थी।

बैठक के बाद इंडियन पल्सेस ऐंड ग्रेन्स एसोसिएशन के चेयरमैन प्रवीण डोंगरे ने कहा, ‘कीमतें तभी कम हो सकती हैं जब आयातित दालों की उपलब्धता सुगम हो। ऐसे में आयातकों को भंडारण सीमा से छूट दी जानी चाहिए।’ करीब 2.4 लाख टन आयातित अरहर और मसूर दाल बंबई बंदरगाह पर पड़ी है लेकिन महाराष्ट्र में भंडारण सीमा लागू होने से उसे उठाया नहीं जा रहा है। व्यापारियों का तर्क है कि अगर महाराष्ट्र में आयातकों को भंडारण सीमा से छूट दी जाती है तो बाजार में तत्काल 2.5 लाख टन दालों की आपूर्ति होगी, जिससे कीमतें कम हो सकती हैं। डोंगरे ने कहा कि आयातकों पर किसी तरह की बंदिश से आपूर्ति पर असर पड़ेगा, जिससे कीमतें उच्च स्तर पर बनी रह सकती हैं। इस बीच, गुजरात ने आयातकों को भंडारण सीमा से रियायत दी है। गुजरात सरकार ने स्टॉकिस्टों, प्रसंस्करणकर्ताओं और थोक विक्रेताओं के लिए सीमा 100 टन, वहीं रिटेलरों के लिए 5 टन तय की है। गुजरात का यह कदम महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगर दूसरे राज्य ऐसा नहीं करते हैं तो आयातक अपने दालों की खेप गुजरात के बंदरगाहों पर मंगा सकते हैं।

भारत मांग की पूर्ति के लिए सालाना 50 लाख टन दालों का आयात करता है। देश में 2014-15 में दालों की खपत 2.3 करोड़ टन रहने का अनुमान है जबकि उत्पादन 1.723 करोड़ टन रहने का अनुमान है। महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में मौसम की मार के चलते करीब 18 लाख टन दालों का उत्पादन कम रहने का अनुमान है, जिसकी वजह से इसकी कीमतों में तेजी आई है। पिछले तीन माह के दौरान अरहर की खुदरा कीमतें 180 से 220 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच रही है। हालांकि सरकार की सख्ती के बाद हाजिर और वायदा बाजार में दालों की कीमतों में 10 से 15 फीसदी की कमी आई है।