नई दिल्ली। आधुनिक जमाने में बदलते संवाद के स्वरूप के साथ ही डाक विभाग ने भी समय की मांग के अनुरूप खुद को भी बदलना प्रारम्भ कर दिया, इसका उदाहरण डाक विभाग ने स्वयं को पहले बैंकिंग सेवा में तबदील हो गया है। इस बीच सरकार पोस्टमैन की भूमिका को बदलना चाह रही है। सरकार चाहती है कि अब यह डाक कर्मचारी गांव के लोगों में बैंकिंग सर्विसेज के इस्तेमाल से संबंधित जानकारी दें। उन लोगों को बताया जाएगा कि सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न वित्तीय समावेशी स्कीमों का लाभ कैसे उठाएं। सरकार वित्तीय समावेश की नई रणनीति के तौर पर एक संगठित कार्यक्रम विकसित करने पर काम कर रही है। इसके तहत बैंक डाक विभाग की सेवा का इस्तेमाल करने के लिए शुल्क देगा।
डाक विभाग के (बैंकिंग एवं एचआरडी) सदस्य रामनुजन ने बताया, ‘डाक घर को वित्तीय साक्षरता के केंद्र में बदलने की योजना है। हम साप्ताहिक साक्षरता शिविर आयोजित करेंगे और कुछ चुने हुए डाक कर्मचारियों को वित्तीय साक्षरता पर बैंकों द्वारा विकसित कार्यक्रम का प्रशिक्षण दिया जाएगा।’
भारतीय डाक को रिर्जव बैंक ऑफ इंडिया द्वारा हाल ही में पेमेंट बैंक लाइसेंस के लिए सैद्धांतिक रूप से मंजूरी मिली है। अस्थायी तौर पर इसका नाम ‘इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक’ रखा गया है, शुरू में इसके पास 300 करोड़ रूपये की पूंजी होगी।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार अपने वित्तीय समावेशी कार्यक्रम के हिस्से के तौर पर वित्तीय साक्षरता पर गौर कर रही है। नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने बताया, ‘अब जब खाते खुल गए है तो हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लोग मुद्रा योजना के तहत सॉफ्ट लोन समेत हमारी अन्य स्कीमों का लाभ उठाएं।’
अब तक प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत 18.86 करोड खाते खुल गए है जिसमें करीब 25,700 करोड रूपये जमा है। उक्त अधिकारी ने बताया, ‘इनमें से करीब 40 फीसदी खाते में जीरो बैलेंस है। हम चाहते है कि उनमें बैंकिंग की आदत विकसित हो और उनकी के्रडिट हिस्ट्री बने और अन्य सेवाओं का इस्तेमाल करें।
बदलते जमाने के अनुसार डाकियाओं की भूमिका बदली, अब लोगों को बैंकिंग का प्रशिक्षण देंगे
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